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परिशिष्ट-२
जैन पारिभाषिक शब्द सूची
अच्छन्दा
-स्वच्छन्द . अतिचार - -(१) व्रत के देशतः भंग होने का नाम अतिचार है। (२) व्रत में शिथिलता अथवा कुछ असंयम सेवन का नाम
अतिचार है । जै.ल. १/२७. अध्यवसाय
-मानसिक वृत्तियों को अध्यवसाय कहते हैं । अनन्तानुबन्धी -(१) जिस कर्म का उदय होने पर सम्यग्दर्शन उत्पन्न नहीं होता
और यदि वह उत्पन्न हो चुका है तो नष्ट हो जाता है उसे अनन्तानुबन्धी कहते हैं। (२) अनन्त भवों की परम्परा को चालू रखने वाली कषायों को
अनन्तानुवन्धी कषाय कहते हैं । जै.ल., १/४७. अन्तर्मुहूर्त
-दो घड़ी अर्थात २४+२४=४८ मिनिट को अन्तर्मुहूर्त कहते हैं । अन्तराय कर्म -जैन संमत आठ कर्म के भेदों में यह चतुर्थ है । जिसका अर्थ है शक्ति होने पर भी विघ्न आना।