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________________ पाठ ३८ अ, इ एवं उकारान्त संज्ञा शब्द (नपुं.) शब्द णयरेण णयर फल पुप्फ कमल तृतीया = के द्वारा, साथ, से तृतीया एकवचन बहुवचन णयरेहि फलेण फलेहि पुप्फेण पुप्फेहि कमलेण कमलेहि घरेण घरेहि. खेत्तेण • खेत्तेहि सत्थेण सत्थेहि वारिणा वारीहि दहिणा वत्थुणा वत्थूहि घर सत्थ वारि दहि वत्थु उदाहरण वाक्य : दहीहि एकवचन . णयरेण विणा समिद्धी ण होइ = नगर के बिना समृद्धि नहीं होती है। सो फलेण विणा ण भुंजइ = वह फल के बिना भोजन नहीं करता है। पुप्फेण अच्चा होइ फूल के द्वारा पूजा होती है। कमलेण सरं सोहइ कमल से तालाब शोभित होता है। घरेण विणा सुहं णत्थि = घर के बिना सुख नहीं है। खेत्तेण विणा सस्सो ण होइ = . खेत के बिना फसल नहीं होती है। सत्थेण पंडिओ होइ = शास्त्र से पंडित होता है। वारिणा विणा जीवणं णत्थि = पानी के बिना जीवन नहीं है। अहं दहिणा सह भुंजामि = मैं दही के साथ भोजन करता हूँ। वत्थुणा परिग्गहो होइ = वस्तु से परिग्रह होता है। . प्राकृत में अनुवाद करो : राजा नगर से शोभित होता है। मैं फल के साथ भोजन करता हूँ। फूल से लता अच्छी लगती है। कमल के बिना सरोवर अच्छा नहीं लगता है। शास्त्र के बिना आदमी मूर्ख होता है। खेत से घर शोभित होता है। वह पानी के बिना भोजन नहीं करता है। वे दही के साथ भोजन करते हैं। वस्तु के बिना समृद्धि नहीं होती है। घर के बिना जीवन नहीं है। ८० प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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