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________________ क्रियाएँ' : बहुवचन नामो (प्र. पु.) (म. पु.) नमित्या (अ. पु.) नमइ नमन्ति निर्देश : इसी प्रकार निम्न क्रियाओं के रूप बनेंगे। इनको तीन पुरुषों एवं दोनों वचनों में लिखकर अभ्यास कीजिए क्रियाकोश : नम= नमन करना : 1. पढ = पढ़ना १२ जाण = जानना चिंत = चिंतन करना इच्छ= इच्छा करना सुण = सु पास = देखना भुंज = भोजन करना यथा : उपयुक्त अव्यय लिखो (ग) इमो .. के. सो. अव्यय : 1 नि. ८. : जिन शब्दों के रूप में कोई परिवर्तन नहीं होता उन्हें अव्यय कहते हैं अत्थ = यहाँ, सया= सदा, ण= : पिव = पीना चल = चलना गच्छ = जाना भम = घूमना धाव = दौड़ना उपयुकत सर्वनाम लिखो : पढन्ति ...च्छामो नमस ... पवित्था पढइ | ..खेलन्ति भुं । एकवचन नमामि नमसि णच्च = नाचना खेल = खेलना - अभ्यास - नहीं, झति = शीघ्र आदि । जय = जीतना हस = हँसना' सेव = सेवा करना सय = सोना.. लिह = लिखना वसं= रहनी बंध = बाँधना उपयुक्त क्रियारूप लिखो : (ख) सा. अहं. ताओ. ताओ. अम्हे. (हस) । (धाव)। (णच्च) । (इच्छ) । । पासामो । लिहन्ति । प्राकृत में क्रियाओं के अन्य रूप भी प्रयुक्त होते हैं, जिनका विवेचन आगामी प्राकृत स्वयं शिक्षक खण्ड 2 में किया जावेगा। यहाँ क्रियाओं के एक रूप को ही प्रयुक्त किया गया है । प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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