SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाठ १० नियम : सर्वनाम (प, स्त्री.) प्रथमा विभक्ति सर्वनाम' (पु, स्त्री.) : नि. १. : प्राकृत में अम्ह (मैं) एवं तुम्ह (तुम) सर्वनाम के रूप पुल्लिंग एवं स्त्रीलिंग में एक समान बनते हैं। प्रथमा विभक्ति में इनके रूप इस प्रकार याद करलें : एकवचन : . अहं तुम बहुवचन : सर्वनाम (मु.) : नि. २. : 'त' (वह) सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन में 'सो' तथा बहुवचन में 'ते' रूप बन जाता है। नि. ३. : 'इम' (यह) सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन में 'ओ' तथा बहुवचन में 'ए' प्रत्यय लगकर ये रूप बनते हैं इमो, इमे। नि. ४. : 'क' (कौन) सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति ए.व. में 'ओ' तथा बव. में 'ए' - प्रत्यय लगकर ये रूप बनते हैं-को, के। सर्वनाम (स्त्री.) : नि. ५. : 'ता' (वह) सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति ए.व. में 'सा' रूप तथा ब.व. में '.. 'ओ' प्रत्यय लगकर ताओ रूप बनता है। नि. ६. : 'इमा' (यह) सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति ए.व. तथा ब.व. में ये रूप बनते - हैं-इमा इमाओ। • नि. ७. : 'का' (कौन) सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति ए.व. तथा बव. में ये रूप बनते हैं-का, काओ। निर्देश : पिछले पाठों में आपने प्राकृत के कुछ प्रमुख सर्वनामों, क्रियाओं तथा .. . अव्ययों की जानकारी प्राप्त की। इनके रूप इस प्राकर याद करलेंसर्वनाम · · प्रथम पुरुष मध्यम पुरूष अन्य पुरुष (पु.) (स्त्री.) एकवचन : अहं तुमं सो, इमो, को सा, इमा, का . बहुक्चन : अम्हे तुम्हे ते, इमे, के ताओ, इमाओ, काओ १. प्राकृत में सर्वनामों के अन्य रूप भी प्रयुक्त होते हैं, जिनका विवेचन आगामी प्राकृत स्वयं शिक्षक खण्ड 2 में किया जावेगा। यहाँ सर्वनाम के एक रूप को ही प्रयुक्त किया गया है। खण्ड १
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy