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तीन शब्द के सात विभक्तियों के रूप :
प्र. तिण्णि बालआ पढन्ति = तीन बालक पढ़ते हैं। द्वि. तिण्णि साडीओ सा गिण्हइ = तीन साड़ियों को वह लेती है। तृ. तीहि कवीहि सह सो गच्छइ = तीन कवियों के साथ वह जाता है। च. तीण्ह वत्थूण सो धणं दाइ = तीन वस्तुओं के लिए वह धन
देता है। पं. तीहिन्तो कमलाहिंतो वारिं पडइ = तीन कमलों से पानी गिरता है। ष. तीह पुरिसाण तं घरं अत्थि = तीन आदमियों का वह घर है। स. तीसु खेत्तेसु वारिं अस्थि = तीन खेतों में पानी है।
. (घ) उन्नीस से अट्ठावन तक नि. ७० : उन्नीस (१९) से अट्ठावन (५८) संख्या तक के शब्दों के रूप माला शब्द
के समान आकारान्त बनते हैं। अतः उनके रूप माला शब्द के समान सातों विभक्तियों में चलते हैं तथा तीनों लिंगों में समान होते हैं। एगूणवीसा · = उन्नीस छव्वीसा = छब्बीस वीसा = . बीस सत्तवीसा = सत्ताईस
एगवीसा = इक्कीस अट्ठावीसा = अट्ठाईस .. दुवीसा . = बाइस एगूणतीसा = उन्तीस
तेवीसा = तेइस तीसा = तीस
चउवीसा . = . चौबीस एगतीसा = इकतीस .: .पण्णवीसा = पच्चीस चतालीसा = चालीस
: (ड) उनसठ से निन्नानवे तक नि. ७१ : उनसठ (५९) से निन्नानवे (९९) संख्या तक के शब्दों के रूप इकारान्त
स्त्रीलिंग जैसे होते हैं। अतः उनके रूप 'जुवई' शब्द जैसे चलते हैं। तथा तीनों लिंगों में समान होते हैं। एगूणसट्ठि = उनसठ एगूणसत्तरि = उन्हत्तर सट्टि . = साठ सत्तरि = सत्तर
इकसठ एकहत्तर = इकहत्तर दोसट्ठि
बासठ
एगूणसीइ = उन्नासी तेसट्ठि = त्रेसठ असीइ = अस्सी चउसट्ठि = चौसठ एगासीइ = इक्यासी पणसट्ठि ___= पैंसठ एगणनवइ = नवासी छसट्ठि = छयासठ
= नव्वे = सड़सठ एगणवइ
____ = इक्यानवे अट्ठसट्ठि = अड़सठ नवणवइ
एगसट्ठि
ION
णवइ
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खण्ड १
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