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________________ पाठ ७० विशेषण शब्द : संख्यावाचक . (क) एक एगो = एक (पु) एगो छत्तो पढइ = एक छात्र पढ़ता है। एगा = एक (स्त्री) एगा बालिआ गच्छइ = एक बालिका जाती है। एग = एक (नपुं) इदं एगं फलं अस्थि = यह एक फल है। . नि. ६७ : एक शब्द के रूप सातों विभक्तियों में पुल्लिंग, स्त्रीलिंग एवम् नपुंसकं... लिंग के अकारान्त शब्दों के समान चलेंगे। विशेष्य शब्द के अनुरूप ही एक शब्द का प्रयोग होगा। यथा :एगस्स पुरिसस्स इदं घरं अस्थि = एक आदमी का यह घर है। ..... एगेण बालएण सह अहं गच्छामि = एक बालक के साथ मैं जाता हूँ। एगे खेत्ते वारिं अस्थि = एक खेत में पानी है। .... (ख) दो नि. ६८ : एक शब्द को छोड़कर सभी संख्यावाची शब्द प्राकृत में तीनों लिंगों में : समान होते हैं। यथा :(पु) दोण्णि बालआ पढन्ति = दो बालक पढ़ते हैं। (स्त्री) दोण्णि जुवईओ गच्छन्ति = दो युवतियाँ जाती हैं। (नपुं) दोण्णि फलाणि सन्ति = दो फल हैं। (ग) दो से अठारह एवं कई . नि. ६९ : दो (२) से लेकर अठारह (१८) संख्या तक के शब्द' तथा कई (कितने) . शब्द सभी विभक्तियों में बहुवचन में ही प्रयुक्त होते हैं : दो . एगारह = ग्यारह तिण्णि तीन बारह = बारह चार तेरह = '. तेरह = पाँच चउद्दह = चौदह = छह पण्णरह = पन्द्रह दोण्णि सोलह = सोलह आठ = = नौ दस सत्तरह अट्ठारह = कइ = सत्तरह अठारह कितने १०२ प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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