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________________ पंचमी-एकवचन पंचमी-बहुवचन (पु) उत्तमत्तो साहुत्तो सो पढइ उत्तमाहितो कवीहितो कव्वं उत्पन्नइ (स्त्री) उत्तमत्तो मालत्तो सुअंधो आयइ उत्तमाहितो मालाहिंतो सुअंधो आयइ. . (नपुं) उत्तमत्तो फलत्तो रसं उप्पन्नइ उत्तमाहितो फलाहिंतो रसं उप्पन्नइ षष्ठी-एकवचन षष्ठी-बहुवचन (पु) उत्तमस्स पुरिसस्स इमो पुत्तो अत्थि उत्तमाण पुरिसाण इमे पुत्ता सन्ति । (स्त्री) उत्तमाए लताए इदं पुर्फ अस्थि उत्तमाण लताण इमाणि पुष्पाणि संति (नपुं) उत्तमस्स पुष्फस्स इदं रसं अस्थि उत्तमाण पुप्फाण इमा माला अस्थि सप्तमी-एकवचन सप्तमी-बहुवचन ... (पु) उत्तमे सीसे विनयं होइ उत्तमेसु सीसेसु विनयं होइ. (स्त्री) उत्तमाए नारीए लज्जा होइ उत्तमेसु नारीसु लज्जा होइ (नपुं) उत्तमे घरे खन्ती होइ उत्तमेसु धरेसु खन्ती होइ निर्देश : उपर्युक्त वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद करो। प्राकृत में अनुवाद करो : . वह नीच पुरुष है। उस राजा का कठोर शासन है। यह साधु बहुत दयालु है। : लोभी मनुष्य दुःख प्राप्त करता है। गंभीर नदी बहती है। चंचल युवती लज्जा नहीं करती है। यह जल शीतल है। अग्नि सदा गरम होती है। ज्ञानी आचार्य का शिष्य आदर करते हैं। मूर्ख आदमियों की सभा में वह निन्दा करता है। आलसी नही पढ़ता है। उद्यमशील बालिकाओं की वह प्रशंसा करता है। हिन्दी में अनुवाद करो : किसणो सप्पो गच्छइ । धवलो मेहो ण वरसइ । बलिट्ठो पुरिसो धणं अज्जइ । लुद्धा . जणा निडरा होन्ति । मुक्खा बाला चित्तं फाडइ । गीरोगे सरीरे सत्ती होइ । चवलेण वाणरेण सह मिओ ण गच्छइ। उत्तमाण बालाण ताणि पुप्फाणि संति। अहमेसु जणेसु गुणा ण सन्ति । १०० प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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