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________________ पाठ सम्बोधन बहुवचन णयराणि अ, इ एवं उकारान्त संज्ञा शब्द (नपुं.) : सम्बोधन एकवचन णयर णयर फल फल पुष्फ कमल कमल घर खेत्त फलाणि पुष्फ घर पुष्पाणि कमलाणि घराणि खेत्ताणि सत्थाणि वारीणि दहीणि सत्य वारि सत्थ वारि दहि वत्थ वत्यु वत्यूंणि । उदाहरण वाक्य : णयर ! अहं तुमं नमामि = हे नगर, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ। पुष्फ ! तुम मज्झ मित्तं असि = हे फूल, तुम मेरे मित्र हो। कमलाणि ! सरं तुम्हाण घरं अत्थि = हे कमलो, सरोवर तुम्हारा घर है। खेत्ताणि ! तुम्ह अम्हाण पालआ सन्ति = हे खेतो, तुम हमारे पालक हो। सत्थ ! तुम तस्स गुरु असि = हे शास्त्र, तुम उसके गुरु हो।। वारि ! तुमं संसारस्स जीवणं असि = हे पानी, तुम संसार का जीवन हो। प्राकृत में अनुवाद करो : __ हे नगरो, तुम्हें आज हम छोड़ रहे हैं। हे फलों, तुम रोगी का जीवन हो। हे कमल, तुम तालाब की शोभा हो। हे फूलों, तुम कवि की प्ररेणा हो। हे घर, तुम प्राणियों की शरण हो। हे वस्तु, तुममें प्राण नहीं हैं। शब्दकोश (नपुं.) : वण = जंगल पिंजर = हियय = हृदय चंदण चंदन मित्त = मित्र आयास आकाश नयण = आँख हेम स्वर्ण चारित्त = चारित्र मोत्तिय = मोती निर्देश : इन शब्दों (नपुं) के सम्बोधन एकवचन और बहुवचन में रूप लिख कर प्राकृत में उनके वाक्य बनाओ। पिंजड़ा . प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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