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________________ उदाहरण वाक्य : तासु बालासु लज्जा अत्थि सुहासु विनयं हवइ = इमासु मालासु पुप्फाणि सन्ति : कासु जुवईसु लावण्णं णत्थि नई नावा तरन्ति साडीसु पुप्फाणि ण सन्ति बहूसु सया लज्जा वसइ कासुं धेणूसु दुद्धं अत्थि सासू गुणा वन्ति संझा निसा वाया प्राकृत में बहुवचन (स्त्री.) = = खपंड १ = = प्राकृत में अनुवाद करो : उन नदियों में आज पानी है । किनकी साड़ियों में फूल हैं ? इन मालाओं में के फूल हैं। उनकी बहुओं में सौन्दर्य है। उन बालिकाओं में अज्ञान है। बच्चों की माताओं में लज्जा नहीं होती है। सास की गायों में दूध नहीं है । बहुओं की श्रद्धा सासों में है। गुलाब शब्दकोश (स्त्री.) : भुक्खा = तिसा भूख . प्यास संध्या रात्रि वाणी = = = उन बालिकाओं में लज्जा है । बहुओं में विनय होती है। इन मालाओं में फूल हैं। किन युवतियों में सौन्दर्य नहीं है ? नदियों में नावें तैरती हैं । साड़ियों में फूल नहीं हैं। बहुओं में सदा लज्जा रहती है । किन गायों में दूध हैं ? सासों में गुण होते हैं । कलिआ चंदिया सति पंति पुहवी - = करो : अनुवाद भूख में रोटी अच्छी लगती है। प्यास में नदी का पानी भी अच्छा लगता • सन्ध्या में आकाश में लालिमा होती है। रात्रि में आकश में तारे होते हैं। किनकी वाणी मैं कली चाँदनी स्मृति कतार पृथ्वी है 1 अमृत "है? उन कलियों में सुगन्ध नहीं है । वे चाँदनी में सदा बाहर घूमते हैं । हमने पिता की स्मृति में विद्यालय स्थापित किया । विद्यालय में बच्चे कतार में खड़े होकर प्रार्थना करते हैं। इस पृथ्वी पर अनेक वस्तुएँ हैं । 333 ८३
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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