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पाठ
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तुज्झ
ताण
ताण
नियम : षष्ठी
(पु., स्त्री., नपुं.) नि. ४६ : प्राकृत में षष्ठी विभक्ति में सभी सर्वनाम तथा संज्ञा शब्द चतुर्थी विभक्ति
के समान ही प्रयुक्त होते हैं। यथासर्वनाम : - ए. व.-मज्झ
तस्स इमस्स कस्स ब. व.-अम्हाण तुम्हाण
इमाण काण (स्त्रीलिंग) ए. व.
ताअ
इमाअ का ब. व.
इमाण काण . पुल्लिंग शब्द : नि. ४७ : (क) पु. अकारान्त संज्ञा शब्दों के आगे षष्ठी विभक्ति एकवचन में ‘स्स' प्रत्यय
लगता है । जैसे
पुरिस = पुरिसस्स, णर = णरस्स, छत्त = छत्तस्स, आदि। .. . (ख) पु. इकारान्त एवं उकारान्त शब्दों के आगे ‘णो' प्रत्यय लगता है। ...
जैसे-सुधि = सुधिणो, कवि = कविणो, सिसु = सिसुणो, आदि। ... __ (ग) बहुवचन में षष्ठी के पुल्लिंग शब्दों के 'अ','इ','' दीर्घ हो जाते हैं तथा
अन्त में 'ण' प्रत्यय लगता है। जैसे
पुरिस = पुरिसाण, सुधि = सुधीण, सिसु = सिसूण, आदि । स्त्रीलिंग शब्द : नि. ४८ : (क) स्त्री. आकारान्त शब्दों के आगे षष्ठी विभक्ति में एकवचन में 'अ' प्रत्यय लगता
जैसे—बाला = बालाअ, सुण्हा = सुण्हाअ, माला = मालाअ, आदि। .. (ख) स्त्री., इ, ईकारान्त शब्दों के आगे 'आ' प्रत्यय लगता है । यथा
जुवइ = जुवईआ, नई = नईआ, साडी = साडीआ, आदि। . (ग) स्त्री, उ,ऊकारान्त शब्दों के आगे 'ए' प्रत्यय लगता है। यथा
घेणु = घेणूए, बहू = बहूए, सासू = सासूए, आदि। (घ) स्त्री.सभी शब्दों के आगे षष्ठी विभक्ति में बहुवचन में 'ण' प्रत्यय लगता है ।
जैसे-बाला = बालाण, जुवइ = जुवईण, धेणू = घेणूण आदि। नि. ४९ : स्त्री. इकारान्त एवं उकारान्त शब्दों में दीर्घ होने के बाद प्रत्यय लगता है।
यथा-जुवइ = जुवई + आ घेणू + ए आदि। नपुंसकलिंग शब्द : नि. ५० : नपुं. के सभी शब्दों के रूप षष्ठी विभक्ति में एकवचन एवं बहुवचन में
पुल्लिंग शब्दों जैसे बनते हैं।
प्राकृत स्वयं-शिक्षक