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________________ पाठ ४४ नियम : चतुर्थी (पु, स्त्री, नपुं.) सर्वनाम : नि. ३६ : (क) चतुर्थी विभक्ति के एकवचन में अम्ह का मज्झ और तुम्ह का तुज्झ रूप बनता है । बहुवचन में आकार एवं 'ण' प्रत्यय जुड़कर अम्हाण एवं तुम्हाण रूप बनते हैं (ख) पुल्लिग सर्वनाम त,इम,क में चतुर्थी ए.व.में ‘स्स' प्रत्यय जुड़कर तस्स, इमस्स एवं कस्स रूप बनते हैं। बहुवचन में आकार एवं 'ण" प्रत्यय जुड़कर ताण, इमाण एवं काण रूप बनते हैं। (ग) स्त्रीलिंग सर्वनाम ता,इमा, का में चतुर्थी एकवचन में 'अ' प्रत्यय तथा बहुवचन में 'ण' प्रत्यय जुड़कर इस प्रकार रूप बनते हैं। एवच. : ताअ, इमाअ, काअ । बव.: ताण, इमाण, काण। पुल्लिंग शब्द : नि. ३७ : (क) पु. अकारान्त संज्ञा शब्दों के आगे चतुर्थी विभक्ति एकवचन में ‘स्स' प्रत्यय लगता है । जैसे—पुरिस = पुरिसस्स,णर = णरस्स, छत्त = छत्तस्स आदि। .. (ख) पु. इकारान्त एवं उकारान्त शब्दों के आगे ‘णो' प्रत्यय लगता है। जैसे-सुधि = सुधिणो, कवि = कविणो, सिसु = सिसुणो आदि। नि. ३८ : बहुवचन में चतुर्थी के पुल्लिंग शब्दों के 'अ', 'इ', 'उ' दीर्घ हो जाते हैं तथा अन्त में 'ण' प्रत्यय लगता है। जैसे पुरिस = पुरिसाण, सुधि = सुधीण, सिसु = सिसूण आदि । स्त्रीलिंग शब्द : नि. ३९ : (क) स्त्री. आकारान्त शब्दों के आगे चतुर्थी विभक्ति में एकवचन में 'अ' प्रत्यय लगता है । जैसे—बाला = बालाअ,सुण्हा = सुण्हाअ,माला = मालाअ आदि । (ख) स्त्री. इ, ईकारान्त शब्दों के आगे 'आ' प्रत्यय लगता है। यथा-जुवइ = जुवईआ, नई = नईआ,साड़ी = साडीआ आदि। (ग) स्त्री.,उ उकारान्त शब्दों के आगे 'ए' प्रत्यय लगता है । यथा-घेणु = घेणुए, बहू = बहूए, सासू = सासूए आदि। नि. ४० : स्त्री. सभी शब्दों के आगे चतुर्थी विभक्ति में बहुवचन में 'ण' प्रत्यय लगता है। जैसे—बाला = बालाण, जुवइ = जुवईण, घेणु = घेणूण, आदि। नपुंसकलिंग शब्द : नि. ४१ : नपुं. के शब्द के रूप चतुर्थी विभक्ति के एकवचन एवं बहुवचन में पुल्लिंग शब्दों जैसे बनते हैं। जैसे-ए.व. : णयरस्स, वारिणो, वत्थुणो। बव. : णयराण, वारीण, वत्थूण । प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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