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________________ तदा योगान् निरुद्ध्य, शैलेशी प्रतिपद्यते ।।२३।। शब्दार्थ - (जया) जब (जिणो) राग द्वेष को जीतनेवाला (केवली) केवलज्ञानी पुरुष (लोगं) लोक (च) और (अलोगं) अलोक को (जाणइ) जानता है (तया) तब (जोगे) मन-वचन-काय इन तीन योगों को (निरुभित्ता) रोक करके भवोपग्राही कर्माशों के विनाशार्थ (सेलेसिं) शैलेशी अवस्था को (पडिवज्जइ) स्वीकार करता है। लोकालोक व्यापी केवलज्ञान और केवलदर्शन पैदा होने से मनुष्य चउदह राज प्रमाण लोक और अलोकाकाश को और उसमें रहे हुए समस्त पदार्थों को हस्तामलकवत् जानता और देखता है। चउदह राज प्रमाण लोक और अलोकाकाश को जानने, देखने के बाद भवोपग्राही कर्मांशों का नाश करने के लिए केवलज्ञानी पुरुष मानसिक वाचिक और कायिक योगों को रोककर शैलेशी (निष्प्रकम्प) अवस्था को धारण करता है। जया जोगे निलंभित्ता, सेलेसिं पडिवज्जड़। तया कम्मं खवित्ताणं, सिद्धिं गच्छइ नीरओ ||२४|| सं.छा.ः यदा योगान्निरुद्ध्य, शैलेशी प्रतिपद्यते। . तदा कर्म क्षपयित्वा, सिद्धिं गच्छति नीरजाः।।२४।। शब्दार्थ - (जया) जब (जोगे) मन-वचन-काया इन तीन योगों को (निरुंभित्ता) रोक करके (सेलेसि) शैलेशी अवस्था को (पडिवज्जइ) स्वीकार करता है (तया) तब (कम्म) भवोपग्राही कर्मों को (खवित्ताणं) खपा करके (नीरओ) कर्मरज से रहित पुरुष (सिद्धिं) मोक्ष में (गच्छइ) जाता है। जया कम्म खवित्ताणं, सिद्धिं गच्छह नीरओ। तया लोगमत्थयत्थो, सिद्धो हवइ सासओ ||२५|| सं.छा.ः यदा कर्म क्षपयित्वा, सिद्धिं गच्छति नीरजाः। तदा लोकमस्तकस्थः सिद्धो भवति शाश्वतः।।५।। शब्दार्थ - (जया) जब (कम्म) कर्मों को (खवित्ताणं) खपा करके (नीरओ) कर्मरज से रहित पुरुष (सिद्धिं) मोक्ष में (गच्छइ) जाता है (तया) तब (लोगमत्थयत्थो) लोक के ऊपर स्थित (सासओ) सदा शाश्वत (सिद्धो) सिद्ध (हवइ) होता है। योगों को रोककर शैलेशी अवस्था को प्राप्त करने से मनुष्य, भवोपग्राही कर्मरज से रहित होकर, मोक्ष में बिराजमान होता है और लोक के उपर रहा हुआ सदा शाश्वत सिद्ध बन जाता है। "सुगति दुर्लभ" सुहन्सायगस्स समणस्स, सायाउलगस्स निगममसाइस्स। उच्छोलणापहोअस्स, दुल्लहा सुगइ तारिसगस्स ||२६|| श्री दशवैकालिक सूत्रम् - 50
SR No.002252
Book TitleSarth Dashvaikalik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages184
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size15 MB
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