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________________ शब्दार्थ - (जो ) जो पुरुष ( जीवे वि) एकेन्द्रिय आदि जीवों को भी (वियाणेइ) विशेषरूप से जानता है (अजीवे वि) अजीव पदार्थों को भी (विणायइ) विशेषरूप से जानता है (सो) वह पुरुष (जीवाऽजीवे) जीव अजीव के स्वरूप को (वियाणंतो) अच्छी तरह से जानता हुआ (संजमं) सप्तदशविध संयम को (हु) निश्चय से (नाही ) जानेगा। जो पुरुष जीव और अजीव द्रव्य के स्वरूप को नहीं जानता वह संयम के स्वरूप को भी किसी प्रकार से नहीं जान सकता और जो जीव तथा अजीव द्रव्य को अच्छी रीति से जानता है वही संयम के स्वरूप को जान सकता है। मतलब यह कि जीव अजीव द्रव्यों के रहस्य को समझनेवाला पुरुष ही संयम की वास्तविकता को भली प्रकार समझ सकता है। जया जीवमजीवे अ, दोवि एट वियाणइ । तया गई बहुविहं, सव्वजीवाण जाणइ ||१४|| .सं.छा.ः यदा जीवानजीवांश्च, द्वावप्येतौ विजानाति। तदा गतिं बहुविधां, सर्वजीवानां जानाति ।।१४।। शब्दार्थ - (जया) जब (जीवं) जीव (य) और (अजीवे) अजीव' (एए) इन (दोवि) दोनों को ही (वियाणइ) जानता है (तया) तब (सव्वजीवाण) समस्त जीवों की (बहुविह) नाना प्रकार की (ग) गति को (जाणइ) जानता है। जया गई बहुविहं, सव्वजीवाण जाणइ । तया पुण्णं च पावंच, बंधं मुक्खं च जाणइ ||१५|| सं.छा.ः यदा गतिं बहुविधां, सर्वजीवानां जानाति । तंदा पुण्यं च पापं च, बन्धं मोक्षं च जानाति ।।१५।। शब्दार्थ - (जया) जब (सव्वजीवाण) समस्त जीवों की (बहुविहं) नाना प्रकार की (गइं ) गति को (जाण) जानता है (तया) तब (पुण्णं च) पुण्य और (पावं च) पाप (बंधं) बन्ध (च) और (मोक्खं) मोक्ष को (जाणइ) जानता है। जीव, अजीव के स्वरूप को भले प्रकार जान लेने से ही उनकी नाना प्रकार की गतियों का ज्ञान होता है और उनसे पुण्य, पाप, बन्ध, मोक्ष आदि तत्त्वों की जानकारी होती है। जया पुण्णं च पावं च, बंधं मुक्खं च जाणइ । तया निव्विंदट भोट, जे दिव्वे जे अ माणुसे ||१६|| धर्मास्तिकाय - जो चलने में सहायक है, अधर्मास्तिकाय जो स्थिर रहने में सहायक है, आकाशास्तिकायजो अवकाशदायक है, पुद्गलास्तिकाय - जो सडन पडन विध्वंसनयुक्त है, काल- जो नये को पुराना करनेवाला है, ये पांच द्रव्य अजीव हैं। श्री दशवैकालिक सूत्रम् - 47
SR No.002252
Book TitleSarth Dashvaikalik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages184
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size15 MB
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