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________________ ५८ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक उसी दिन से विरहवृक्ष अंकुरित हो गया था। उनके विरह को दूर करने के विभिन्न उपाय किये जा चुके थे, परन्तु सभी असफल सिद्ध हए । इसी बीच वैरागर में बुद्धिविचित्र नामक चित्रकार देश-देशान्तरों का भ्रमण करता हुआ पहुँचा। नगर में प्रवेश करते हुए उसे शकुन हुए । वह राजभवन के पुजारी देवदत्त के यहाँ ठहरा । उन्हों के माध्यम से राजकुमार से मिला और उनसे राजकुमारी की सही-सही स्वप्न आदि की बातें बताई। राजकूमार ने भी चित्रकार को स्वप्न की बात सुनाई। तब चित्रकार ने रम्भा का ७ सखियों के साथ वाला चित्र दिखाया । वह चित्र पहचान गया और उसे हृदय से लगाकर शान्ति पाता तथा नैनों से अलग नहीं कर पाता। चित्रकार ने राजकुमार को बातों की गोपनीयता की शपथ दिलाई। राजकुमार ने रम्भा के लिए एक पत्र और अंगूठी चित्रकार के हाथ भेज दी। चित्रकार को भी बहुत से उपहार भेंट कर विदा किया। रम्भा के स्वयंवर में आने की बात चित्रकार ने राजकुमार से समझा दो। बुद्धिविचित्र चंपावती पहुंचकर मंत्री सुमतिसागर से मिला । मुदिता ने चित्र, पत्र और मुद्रिका राजकुमारी के पास भेज दिए । रानी को जब यह खुशखबरी मिली उसने राजा को सूता-स्वयंवर करने की सलाह दी। स्वयंवर की विधिवत् तैयारी होने लगी। राजभवन और उसके सामने अनेक साज-सामान एकत्र होने लगा। इधर रंभा की सखियाँ प्रिय को रिझाने, वशीभूत करने और स्वयं के श्रृंगार के नवीन ढंग रंभा को सिखाने लगों। लज्जा, पतिसेवा आदि को दीक्षाएँ मिलीं। मदन के प्रमुख स्थान और उन्हें उद्दीप्त करने की विधियां बताई गईं। कोककला का पूरा ज्ञान कराया गया। चौरासी मुद्राएँ सखियों ने बताईं। प्रिय के अप्रिय वचनों को भी सह जाने की सलाह दी गई। इस प्रकार सखियों ने उसे अनेक शिक्षाओं से अवगत कराया। सरसेन ने विजयपाल द्वारा आयोजित स्वयंवर में जाने की इच्छा मंत्री से व्यक्त की । मंत्री ने राजा को सूरसेन को चंपावती भेजने के लिए तैयार कर लिया। वैशाख कृष्णा पंचमो तदनुसार पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन विजययात्रा का निश्चय हआ। पूत्र को विदा करते समय रानी कमलावती का कंठ भर आया।
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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