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________________ ५४ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक उसके वीणावादन से छिताई के आँसू बहने लगे । वे आँसू बादशाह के कंधों पर गिरे । सोरसी से बादशाह ने कुछ माँगने को कहा । उसने बादशाह से छिताई को माँगा । बादशाह ने छिताई की इच्छा जाननी चाही । छिताई ने सोंरसी का वास्तविक परिचय कराया तो बादशाह ने उसका बड़ा सत्कार किया और एक पिता के रूप में स्वयं छिताई को सोंरसी के सुपुर्द किया। 1 बादशाह ने उन्हें विदा करते समय गुजरात का देश दिया । वे दोनों देवगिरि आये । वहाँ उनका बड़ा स्वागत सम्मान हुआ । पुनः वे द्वारसमुद्र पहुँचे । सरसी के पिता भगवान् नारायण उन्हें देख अत्यधिक प्रसन्न हुए । . २ रसरतन - ऐतिहासिक या साहित्यिक स्तर पर सभी प्रेमाख्यानकों का अपना-अपना महत्त्व है । फिर भी पुहकरकृत रसरतन के विषय में यह कहना आवश्यक है कि रसरतन हिन्दी प्रेमाख्यानकों की परम्परा की एक मूल्यवान् कड़ी है । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने रसरतन का महत्त्व इन शब्दों में स्वीकार किया था : 'कल्पित कथा लेकर प्रबन्ध-काव्य रचने की प्रथा पुराने हिन्दी कवियों में बहुत पाई जाती है । जायसी आदि सूफ़ी शाखा के कवियों ने ही इस प्रकार की पुस्तकें लिखी हैं, पर उनकी परिपाटी बिल्कुल भारतीय नहीं थी । इस दृष्टि से रसरतन को हिन्दी साहित्य में विशेष स्थान देना चाहिए । परन्तु आश्चर्य होता है कि विशेष स्थान दिलाने की सिफ़ारिश करके शुक्ल जी ने रसरतन पर इससे अधिक कुछ नहीं लिखा। बाद में यत्किचित् स्थानों पर इसकी चर्चा की गई । सन् १९५५ में डा० हरिकान्त श्रीवास्तव ने अपने 'भारतीय प्रेमाख्यान काव्य' में इस पर लिखा । इसके बाद १९६० में डा० शिवप्रसाद सिंह द्वारा महत्त्वपूर्ण विस्तृत भूमिका सहित सम्पादित होकर यह ग्रन्थ प्रकाश में आया है । कवि ने ग्रन्थ का नामकरण रसरतन इसलिए किया चूँकि उनका ग्रन्थ नवरसों से अलंकृत है । उन्होंने गुणसमुद्र को ज्ञान की मथानी और प्रेम की डोरी से मथा तब उन्हें वह नवनीत प्राप्त हुआ : १. डा० शिवप्रसाद सिंह द्वारा सम्पादित पुहकरकृत रसरतन, ना० प्र० सभा, काशी. २. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, हिन्दी साहित्य का इतिहास, पृ०.२२८.
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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