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प्रकाशकीय पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के .रतनचन्द स्मारक शोधछात्र डा. प्रेमचन्द्र जैन, एम०ए०, पी-एच०डी० का अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक नामक प्रस्तुत प्रबन्ध सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति द्वारा प्रकाशित सातवां शोध-ग्रन्थ है। इसके पूर्व प्रकाशित छहों शोध-ग्रन्थों का विद्वद्वर्ग ने समुचित आदर किया, यह समिति के लिए हर्ष एवं सन्तोष का विषय है।
प्राचीन भारतीय साहित्य के महत्त्वपूर्ण अंग अपभ्रंश कथाकाव्यों का हिन्दी प्रेमाख्यानकों के शिल्प पर क्या व कितना प्रभाव पड़ा है, इसका दिग्दर्शन कराना ही प्रस्तुत प्रबन्ध का प्रतिपाद्य विषय है। लेखक ने विषय-विवेचन में पर्याप्त सफलता प्राप्त की है।
समिति पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के अध्यक्ष एवं बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के सम्मान्य प्राध्यापक डा० मोहनलाल मेहता का आभार मानती है जिन्होंने प्रस्तुत ग्रन्थ का परिश्रमपूर्वक सम्पादन किया है। प्रबन्ध के लेखक डा. प्रेमचन्द्र जैन एवं निर्देशक डा. शिवप्रसाद सिंह के प्रति भी समिति कृतज्ञता व्यक्त करती है जिनके प्रशंसनीय पुरुषार्थ के कारण समिति को यह ग्रन्थ प्रकाशित करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।
हरजसराय जैन
मन्त्री