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हिन्दी प्रेमाख्यानकों, अपभ्रंश कथाकाव्यों के शिल्प का तुलनात्मक अध्ययन : ३३९
. उक्त कथानक एवं जायसी के पदमावत के कथानक की तुलना से एक परिपाटी की शृंखला जुड़ जाती है। करकंडुचरिउ में नायक सिंहलद्वीप की यात्रा करता है, वहां की राजकुमारी रतिवेगा से विवाह करता है, समुद्र में उससे विछोह तथा रतिवेगा को पद्मावती का आश्वासन आदि घटनाएं जायसी के पदमावत की निम्न घटनाओं से पर्याप्त मेल खाती हैं-सिंहलद्वीप की राजकुमारी पद्मावती के रूप-गुणों का बखान सुनकर चित्तौड़ का राजा रतनसेन उसपर मोहित हो जाता है, वह यात्रा करता है, उसका विवाह होता है और समुद्रमार्ग से लौटने पर दोनों का वियोग भी होता है । पुनः मिलन आदि की घटनाएं ऐसी हैं
जो ज्यों की त्यों मिल जाती हैं। ... रामचरितमानस. में राम-कथा की तुलसीदास ने एक सरोवर और सरिता से तुलना की है । सरोवर की तुलना देखिए :
सुठि सुन्दर संवाद वर विरचे बुद्धि विचारि ।
तेहि एहि पावन सुभग सर घाट मनोहर चारि ॥ सप्त प्रबंध सुभग सोपाना । ग्यान नयन निरखत मन माना। रघुपति महिमा अनुगन अबाधा । बरनब सोइ वर वारि अगाधा । राप्त सीय जस सलिल सुधा सम। उपमा बीचि विलास मनोरम ।
पुरइनि सघन चारु चौपाई । जुगुति मंजु मनि सीप सुहाई ॥ . . छंद सोरठा सुंदर दोहा। सोइ बहुरंग कमल कुल सोहा। . . . नरथ अनूप सुभाव सुभासा । सोइ पराग मकरंद सुवासा ॥
सुकृत पुंज मंजुल अलि माला । ग्यान विराग विचार मराला। - धुनि अवरेख कबित गुन जाती । मीन मनोहर ते बहु भांती॥
अरथ धरम कामादिक चारी । कहब ग्यान विग्यान विचारी। नवरस जप तप जोग विरागा। ते सब जल चर चारु तड़ागा ॥
-बालकांड, ३७. - अब रामकथा की सरिता से तुलना प्रस्तुत है :
श्रोता त्रिविध समाज पुर ग्राम नगर दुहुँ कूल। संत सभा अनुपम अवध सकल सुमंगल मूल ॥