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अपभ्रंश कथा: परिभाषा, व्याप्ति और वर्गीकरण : २४७
पूर्वभवों के विषय में भगवान् से पूछा । भगवान् ने कहा - भारतदेश "में चम्पानगरी का सूर्यसेन नामक एक सेठ था, जिसके चार पत्नियाँ थीं । सूर्यसेन कोढ़ी हो गया । उसकी चारों पत्नियों ने सुमति नामक मुनि से श्रावकधर्म के व्रत ले लिए। पति की मृत्यु के बाद सम्पूर्ण सम्पत्ति से मंदिर निर्माण कराया । आर्यिका बनकर तप द्वारा स्वर्ग में विद्युन्माली की चारों देवियाँ हुई हैं।
श्रेणिक राजा ने पुनः विद्युच्चोर के पूर्वभव के विषय में पूछा तो भगवान् ने बताया कि वह हस्तिनापुर के राजा विसंध का पुत्र है । चोरो का व्यसन हो जाने से वह राजा के पास से भाग आया और यहाँ कामलतां वेश्या के घर में रहता है। चोरी उसका मुख्य व्यसन है ।
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इसके बाद भगवान् ने बताया कि विद्युन्माली इसी राजगृह नगर के श्रेष्ठ अरदास की पत्नी जिनमती के यहाँ पुत्ररूप में जन्म लेगा । इसी बीच एक यक्ष अपने कुल की प्रशंसा सुनकर नाच उठा । श्रेणिक ने इसका कारण पूछा तो भगवान् ने समाधान किया कि धनदत्त सेठ की गोत्रवती नाम की पत्नी थी । उससे अरदास और जिनदास दो पुत्र उत्पन्न हुए । जिनदास व्यसनों में पड़ गया। एक दिन एक जुआरी ने उसे मार दिया । शुभकर्मों से उसे यह यक्षयोनि मिली है और पूर्वभव के कुल को उन्नति सुनकर प्रसन्न हो रहा है । तत्पश्चात् भगवान् ने राजा को धर्मोपदेश दिये और जम्बूस्वामी के विषय में सविस्तार बताया । राजा सपरिकर अपने नगर लौट आया सात दिन बीतने पर अरदास की पत्नी ने रात्रि के अन्तिम प्रहर में पाँच स्वप्न देखे : १. सुवासित जम्बूफलों का गुच्छा, २. समस्त दिशाओं का प्रकाशित करने वाली निर्धूम अग्नि, ३. पुष्पित एवं फलभार से नम्र शालिक्षेत्र, ४. चक्रवाक, हंस आदि पक्षियों के कलरव से युक्त सरोवर, ५. मगरमच्छ आदि जलचरों से परिपूर्ण विशाल सांगर । इसी समय विद्युन्माली देव जिनमतो के गर्भ में आया । समय आने पर पुत्रोत्पन्न हुआ । उस समय चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र में था । पुत्र का नाम जम्बूस्वामो रखा गया । सुन्दरता से इस बालक ने कामदेव को जीत लिया था । बड़े होने पर शिक्षा-दीक्षा पूर्णं हुई । ख्याति चारों ओर फैल गई । नगर की स्त्रियाँ इसे देख मन्त्रमुग्ध होकर बेसुध हो जाती थीं
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अरदास ने बातों-बातों में ही बहुत पहले अपने चार मित्रों को उनकी