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आहड़ियाँ एक खास मिष्ठान्न होता था, जो उपहार के रूप में दूसरों के घर भेजा जाता था । विवाह के बाद वर के घर में वधू के प्रवेश करने पर किए जाने वाले भोजन को आहेणग और अपने पीहर से वधू के द्वारा लाए जाने वाले भोजन को पहेणग कहा जाता था। अपने सगे संबंधियों और अपने इष्ट मित्रों को एकत्र कर खिलाए जाने वाले भोजन को संमेल कहते थे। पुलाव एक विशिष्ट प्रकार का भोजन होता था। गुटिका (गुलिया) कसैले वृक्ष के चूर्ण से बनाई जाती थी। साधु-मुनिराज उसका उपयोग करते थे।
मद्य-मांस भी तत्कालीन समाज में भोजन के रूप में उपयोग होता था। मद्य अनेक पदार्थों से बनाया जाता था और उसके अलग-अलग नाम थे।
राजाओं और धनिकों के घर में विविध प्रकार के व्यंजन बनते थे । साग-सब्जी तेल में पकाई जाती थी। भोजन करने की भूमि को लीप-पोतकर उस पर कमल के दो पत्ते बिछाए जाते थे और आसपास पुष्प बिखेरे जाते थे। उसके बाद करोडम (कटोरा), कट्ठोरग और मकुंद आदि पात्र यथास्थान रखे जाते थे। इसके पश्चात लोग भोजन करने बैठते थे।
भोजन के अलावा जीवन निर्वाह के लिए आवश्यकता है वस्त्रों की । उस काल में सर्वसाधारण में सूती कपड़े पहनने का रिवाज था। लोग सुन्दर वस्त्र, गंध, माल्य
और अलंकार धारण करते थे। सभा में जय प्राप्त करने के लिए शुक्ल वस्त्र धारण करना आवश्यक था। आगम साहित्य में चार प्रकार के वस्त्रों का उल्लेख उपलब्ध है- १..वस्त्र जो प्रतिदिन पहने जाते थे, २. जो स्नान के बाद पहने जाते थे, ३. जो उत्सव-मेले आदि के समय पहने जाते थे और ४. जो राजा महाराजा आदि से भेंट करते समय धारण किये जाते थे।
निम्नलिखित वस्त्रों की गणना बहमूल्य वस्त्रों में की जाती थी और जैन श्रमणों को इन्हें धारण करने का निषेध था— आईलग (अजिन पशुओं की खाल से बने वस्त्र), सहिय (सूक्ष्म महीन बुने वस्त्र), सहिण, कल्याण (सूक्ष्म, महीन और सुन्दर वस्त्र), आय (बकरे के बालों से बुने वस्त्र), काय (नीली कपास से बुने वस्त्र), खोत्रिय (क्षोभिक कपास से बुने वस्त्र), दुग्गल (दुक्कस, दूचूल पौधे के तंतुओं से बने वस्त्र), मलय, पतुन्न (पत्रोर्ण वृक्ष की छाल के तन्तुओं से निर्मित वस्त्र), अंसुय (अंशुक), चीणांसुय (चीनांशुक), देसराग (रंगीन वस्त्र), अमिल (साफ चिट्टे वस्त्र), फालिय (स्फटिक के समान स्वच्छ वस्त्र), कोचव (कोतव रोएदार कंबल), केवलग (कंबल) और पावार (प्रावरण लवादा)।
इनके अतिरिक्त विभिन्न देशों में बनाये सोने-चांदी के तारों से निर्मित, कसीदा
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