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आठवें अध्ययन में गजसुकुमाल की गाथा है । इनका वृत्तान्त इतना प्रसिद्ध है कि सब अच्छी तरह से जानते हैं । इनके पिता राजा वसुदेव और माता देवकी रानी थी । कृष्ण वासुदेव इनके-बड़े भाई थे । बालवय में गजसुकुमल की समता की कसौटी , हुई और उसमें वे खरे उतरे ।
नौवें से ग्यारहवें अध्ययन तक सुमुख, दुर्मुख और कुबेर का वर्णन है । ये तीनों राजा बलदेव और रानी धारिणी के पुत्र थे । बारहवें और तेरहवें अध्ययन में दारुण और अनादृष्टि कुमारों का वर्णन है । ये राजा वसुदेव और धारिणी रानी के पुत्र
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चौथे वर्ग में दस अध्ययन है - जाली, मयाली, उवयाली, पुरुषसेन, वारिषेण, प्रद्युम्न, सांब अनिरुद्ध, सत्यनेमि और दृढ़नेमि । प्रथम पाँच राजा वसुदेव और रानी धारिणी के पुत्र थे । प्रद्युम्न और सांब क्रमशः श्रीकृष्ण और रुक्मणि तथा श्रीकृष्ण और जंबूवती के पुत्र थे । अनिरुद्ध प्रद्युम्न और वैदर्भी के तथा सत्यनेमि व दृढ़नेमि राजा समुद्रविजय व रानी शिवादेवी के पुत्र थे ।
पाँचवे वर्ग में पद्मावती, गौरी, गांधारी, लक्ष्मणा, सुषमा, जंबूवती, सत्यभामा, रुक्मणि, मूलश्री और मूलदत्ता इन दस के दस अध्ययन हैं । प्रथम आठ श्रीकृष्ण की रानियाँ थीं तथा मूलश्री व मूलदत्ता श्रीकृष्ण और जंबूवती के पुत्र सांब की पत्नियाँ
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थीं । इन सबने भगवान अरिष्टनेमि के पास दीक्षा ली थी। पद्मावती की कथा में द्वारिका नगरी के विनाश का कारण, श्रीकृष्ण की मृत्यु तथा आगामी चौबीसी में उनके तीर्थंकर होने आदि का कथन भी बहुत विस्तार के साथ है ।
छंठे वर्ग में सोलह अध्ययन हैं। वे इस प्रकार हैं- मकाई, विक्रम, अर्जुनमाली, क्राश्यप, सेम, धृतिधर, कैलाश, हरिश्वैद्य, विरक्त, सुदर्शन, पूर्णभद्र, सुमनभद्र, सुप्रतिष्ठ, मेघ, अतिमुक्त (अवन्ती कुमार) और अलख राजा । इनमें से अर्जुनमाली, सुदर्शन और अवन्ती कुमार की कथाएँ तो सामान्य से सामान्य जैन को ज्ञात है । इन्हें तो प्रायः सभी पढ़ते रहते हैं । अवन्तीकुमार ने छोटी सी वय में दीक्षा लेकर गुणरत्न संवत्सर जैसी महान तप साधना की थी ।.
सातवें वर्ग में तेरह अध्ययन है, जिनमें क्रमशः नंदा, नन्दवती, नन्दोत्तरा, नंदसेना, मरुता, सुमरुत्ता, महामरुता, मरुदेवी, भद्रा, सुभद्रा, सुजाता, सुमति और भूदिन्ना इन तेरह रानियों की कक्षाएँ हैं । ये राजा श्रेणिक की रानियाँ थीं । इन्होंने भगवान महावीर के उपदेश से वैराग्यवती होकर राजा श्रेणिक की आज्ञा लेकर प्रवज्या ग्रहण की थी ।
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आठवें वर्ग में काली, सुकाली, महाकाली, कृष्णा, सुकृष्णा, महाकृष्णा, वीरकृष्णा, रामकृष्णा, प्रियसेन कृष्णा और महासेन कृष्णा इन श्रेणिक राजा की दस रानियों की कथाओं के दस वर्ग हैं । इन्होंने दीक्षा लेकर रत्नावली, कनकावली आदि
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