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________________ १४८] मन्त्रकल्प संग्रह अथ श्रीज्वालामालिनीस्तोत्रम ॐनमो भगवते श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्राय, शशांक शंख गोक्षोरहारधवलगात्राय, घातिकर्म निर्मूलच्छेदनाय, जातिजरामरणविनाशनाय, संसारकान्तारोन्मूलनाय, अचिंत्यबलपराक्रमाय, अप्रतिहतचक्राय, त्रैलोक्यवश्यंकराय सर्वमत्त्वहित कराय, सुरासुरोरगेन्द्रमुकुटकोटिघट्टितपादपद्माय, शैलोक्यनाथाय, देवाधिदेवाय, धर्मचकाधीश्वराष, सर्वविद्यापरमेश्वराय, तत्यादपंकजा श्रमनिषेविणि देवि शासनदेवते त्रिभुवनसंक्षोभिणि त्रैलोक्याशिवापहारकारिणि स्थावरंजंगमविषमविषसंहारिणी, सर्वाभिचारकम्मपिहारिणि, परविद्योच्छेदिनि, परमंत्र प्रणाशिनि, अष्टमहानागकुलोच्चाटिनि, कालदष्टमृतकोत्थापिनि, सर्वरोगप्रमोचिनि, ब्रह्मविष्णुरुद्र न्द्रचन्द्रादित्यग्रहनक्षत्रोत्पातमरणभयपीडासंमदिनि, त्रैलोक्य महिते, भव्यलोकहितंकरि, विश्वलोकवश्यकरि, महाभैरवि, भैरवरूपधारिणि, रौद्रि, रौद्ररूपधारिणि, प्रसिद्धसिद्ध-विद्याधर -यक्ष-राक्षस-गरुडगन्धर्वकिन्नर -किंपुरुष-दैत्योरगेन्द्रपूजिते, ज्वालामालाकरालितदिगंतराले, महामहिषवाहिनि, खेटक-कृपाणत्रिशूलशक्ति-चक्र-पाश-शरासनविशिख-पवि-विराजमानषोडशार्द्धभुजे, एह्य हि ह म्ल्यूँ ज्वालामालिनि ह्रीं क्ली ब्लू द्रां द्रीं ह्रां ह्रीं ह्र, ह्रीं ह्रः ह्रीं देवान् आकर्षयरनागग्रहान् आकर्षय २ यक्षग्रहान् आकर्षय २ राक्षसग्रहान आकर्षय २ भूतग्रहान् आकर्षय २ व्यंत रग्रहान आकर्षय २ सर्वदुष्टग्रहान् आकर्षय २ कट २ कंपय २ शोषं चालय २ गात्र चालय र बाहु चालय २ पादं चालय २ सर्वाङ्ग चालय २ लोलय २ धून२ कंपय२ शीघ्रमवतारं गृहर ग्राहयर पावेशय२ उम्लव्यू
SR No.002243
Book TitleMantrakalpa Sangraha tatha Gandhar Jayghoshstotradi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherMandavala Jain Sangh
Publication Year1974
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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