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उपस्थापना
आदर्श प्रति परिचय
भट्टारक सकलकीर्ति का यह ग्रन्थ 'यशोधर चरित्र' प्रथम बार सम्पादित हो रहा है । इसका सम्पादन निम्नलिखित प्रतियों पर आधारित है
१. क प्रति - यह प्रति आमेर शास्त्र भण्डार, जयपुर में सुरक्षित है । ३२ से.मी. X१२३ से.मी. कांगज पर लिखी प्रति सुवाच्य है । ४३-४३ से.मी. दोनों पावों में तथा ३ - ३ से.मी. ऊपर-नीचे हाशिया, प्रति पृष्ठ में ८ पंक्तियाँ और प्रति पंक्ति में लगभग ३० अक्षर हैं। अक्षर अच्छे और आकार में बड़े हैं । पद्य संख्या तथा पुष्पिका वाक्यों में लाल स्याही का प्रयोग किया गया है । दोनों पावों के हाशियों में भी लाल स्याही की तीन-तीन रेखाएं खींची गयी हैं । कुल पत्र ( पन्ने) संख्या ७४ है जिनमें प्रथम पन्ना एक ओर लिखा हुआ है।
प्रति का प्रारम्भ ‘ॐ नमः सिद्धेभ्यः' से हुआ है । कुल आठ सर्ग हैं और प्रत्येक सर्ग के अन्त में “इति श्रीयशोधरचरित्रे भट्टारकश्री सकलकीर्तिविरचिते . सर्गः " लिखा हुआ है। प्रारम्भ में कवि ने तीर्थंकर महावीर को प्रणाम .कर संक्षेप में यशोधरचरित्र लिखने की प्रतिज्ञा की है । सकलकीर्ति ने इस ग्रन्थ में कहीं भी अपना परिचय नहीं दिया ।
प्रतिलिपि लेखक की प्रशस्ति इस प्रकार है
संवत् १६३० वर्षे आषाढ सुदि २ सोमवासरे श्रीमूलसंघे, सरस्वतीगच्छे, बलात्कारगणे, भट्टारक श्री कुन्दकुन्दाचार्य तदान्वये भट्टारक श्री जिणचन्द्र, तत्पट्टे श्रीप्रभाचन्द्र, तत्पट्टे मंडलाचार्य श्रीधर्मचन्द्र, तत्पट्टे मंडलाचार्य श्री ललितकीर्तिः, तत्पट्टे मंडलाचार्य श्री चन्द्रकीर्तिः, तदाम्नाये खंडेलवाल पाटणीगोत्र संगहीदूल्हः भार्या दूलह तयोः पुत्रः सं . नानू, तत्भार्या नारिंगदे तयोः पुत्र सं. कौजू, तस्य भार्या कोडमदे द्वि. भार्या हर्षमदे तयोः पुत्र सं. हीरा, द्वितीय पुत्र सं. ठकुरसी, तत्भार्या •लक्षणा, तयोः पुत्र सं. ईसर भार्या ईसरदे, तयोः पुत्र रूपसी देवसी भार्या साहिबदे, तयोः पुत्र मानसिंह सं. गुणदत्त भार्या गौरादे तयोः पुत्र सं. गेगा, सं. समतू, सं-रेखा, सं. ठकुरसी, भार्या लक्षणा सास्त्र यसोधर ब्रह्मरायमल्ल जोग्य दद्यात्, पल्य