SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५२. यशोधरचरित्र ५३. यशोधर कानियम ५४. यशोधरचरित्र ५५. ५६. ५७. "1 ५८. यशोधरपुराण ५६. यशोधरदास " "1 (तमिल) वेष्णावलुडैयार वेक नन्न (कन्नड) चन्दनवर्णी चन्द्रम नाग आया ( मराठी ) गुणनन्दी मेघराज अज्ञात सं. १३वीं शती १२० ई० अज्ञात अज्ञात ६१ १५४० ई० १५८० ई० १५२५ ई० यशोधरचरित्र पर लिखे गये लगभग साठ ग्रन्थों की इस लम्बी सूची से यह स्पष्ट है कि जैन साहित्यकारों में यह कथा सर्वाधिक लोकप्रिय रही है । संस्कृत अपभ्रंश, हिन्दी, गुजराती, मराठी, कन्नड़ आदि लगभग सभी भारतीय भाषाओं में इस चरित्र पर ग्रंथ लिखे गये हैं । न जाने अभी और कितने ग्रंथ भण्डार में M छिपे पड़े होंगे । ग्रन्थकर्त्ता सकलकीर्ति १. चोऊद मिताल प्रमाणि पूरह दिन पुत्र जनमीउ २. सकलकीर्तिदास, ३.४ यशोधरचरित्र के रचयिता भट्टारक सकलकीर्ति एक उच्चकोटि के दिगम्बर साधु और संस्कृत, प्राकृत तथा हिन्दी के विद्वान् थे । उनका जन्म सं० १४४३ (सन् १३८६) में हुआ था । बाल्यावस्था का नाम पूर्णसिंह था । उनके पिता का नाम करमसिंह तथा माता का नाम शोभा था । वे अणहिलपुर पट्ण के रहने वाले थे और हुंबड जाति के थे । बाल्यावस्था से • ही वह कुशाग्रबुद्धि तथा आध्यात्मिक प्रवण थे । विराग प्रवृत्ति देखकर माता-पिता ने चौदह वर्ष की ही अवस्था में सकलकीर्ति का विवाह कर दिया था फिर भी साधु-जीवन से उनका मुंह नहीं मोड़ सके । अपार सम्पत्ति को छोड़कर वे १८ वर्ष की अवस्था में वि० सं० १४६३ (सन् १४०६) में नेणवां गाँव पहुंचे । उस समय नेणवां भ० पद्मनन्दि का मुख्य स्थान था । - वह एक अच्छा अध्ययन केन्द्र था । सकलकीर्ति ने वहाँ आठ वर्ष रहकर संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं का तथा जैन- जैनेतर धर्मों का गहन अध्ययन किया । भट्टारक यश: कीर्ति शास्त्र भंडार की पट्टावाली के अनुसार वे ३४ वर्ष
SR No.002236
Book TitleYashodhar Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain
PublisherSanmati Research Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages184
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy