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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
तृतीयोऽध्यायः।
देवों का पद स्थान
'त्रिसप्तांशे कृते माने ब्रह्मांशे सूत्रमध्यमे। कृत्वा षडंशकं तच्च वामे यंशं व्यपोह्य च ॥१॥ तन्मानमग्रतो नीत्वा प्रागुदग्गतसूत्रकम् ।
तद् ब्रह्मसूत्रमित्युक्तं तत् सूत्रं शिवमध्यगम् ॥२॥ ब्रह्म और शिवं सूत्र का स्थान- ..
गर्भ गृह का एकबीस भाग करना। इसमें मध्य का ब्रह्मांश (ब्रह्मसूत्र) कहा जाता है। इस का फिर छ: भाग करना। इन छ: भागों में से बाँयी तरफ के दो भाग छोड़ देनां, उतने ही. मान का आगे का जो भाग है, उसमें पूर्व और उत्तर तरफ गये हुए सूत्र को ब्रह्मसूत्र कहते हैं, यही शिवसूत्र है, उसमें शिवलिंग स्थापित किया जाता है ॥१, २ ॥
Upon dividing the inner sanctum of a temple into twenty-one parts, the middle portion is called the Brahma-ansha. This Brahma portion should be further divided into six parts. Of these, two parts to the left should be set aside (1). Of the area of the same (two parts) scale to the front, the part to the east and north is known as the Brahma-Sutra. This is also the Sutra or position