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देवतामूर्ति-प्रकरणम् torso 8 angulas. From this to the knee the distance should be 24 angulas, as should be the distance between the knee and the ankle. The knee should be 4 angulas, as should the distance from the ankle to the foot. (28, 29). (The final image being 108 angulas in height.)
विस्तारः स्तनगर्भे च द्वादशाङ्गुलमीरितम्। तबाह्ये वेदवेदांशे कक्षे एकान्तरे तत: ॥३० ॥ सप्तसप्ताङ्गुलौ बाहू दैये स्यात् षोडशाङ्गुलौ। करोऽष्टादशमात्रश्च विस्तारोऽग्रे गुणाकुलः ॥३१॥ दैर्ये सूर्याङ्गुल: पाणि-विस्तरे पञ्चमात्रकः । नाभि: सूर्याङ्गुलो व्यासे कटिः प्रोक्ता जिनाङ्गुलाः ॥३२॥ मूल एकादशोरू स्याद् जंघा प्रान्ते युगाङ्गुला। चतुर्दशाङ्गुल: पाद-स्तदूर्ध्वं च युगाङ्गुलः ॥३३ ॥ कक्ष: स्कन्दस्तदूचे तु कर्त्तव्यश्चाष्टमात्रकः । ग्रीवा चाष्टाङ्गुला व्यासे पाद: प्रोक्तः षडङ्गुलः ॥३४॥ .
दोनों स्तन का बिचला भाग विस्तार में बारह अङ्गुल, दोनों स्तन से काँख तक का विस्तार चार-चार अङ्गल, काँख और भुजा का अन्तर एक-एक अङ्गुल, दोनों भुजा का विस्तार सात-सात अङ्गुल और भुजा की लम्बाई सोलह-सोलह अङ्गुल, दोनों हाथ की लम्बाई. मणिबंध तक अठारह-अठारह अङ्गुल, मणिबंध का विस्तार तीन अङ्गल, हथेली (पञ्जा की लम्बाई बारह अङ्गल और चौड़ाई पाँच अङ्गुल, नाभि प्रदेश का विस्तार बारह अङ्गुल, कटि का विस्तार चौबीस अङ्गुल, ऊरु का मूल भाग विस्तार में ग्यारह अङ्गुल, जंघा का अन्त भाग पैर की गाँठ के पास चार अङ्गुल, पैर की लम्बाई चौदह अङ्गल और पैर की ऊँचाई गाँठ तक चार अङ्गुल, काँख के ऊपर कंधा का विस्तार आठ अङ्गुल, गला का विस्तार आठ अङ्गल और पैर का विस्तार छः अङ्गुल बनाना।
The distance beteween the breasts should be 12 angulas, and between the breasts and armpits 4 angulas each. There should