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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
आठ ताल के मान से चण्डी आदि देवियों के अवयवों का मान कहता हूँ-मस्तक तीन अङ्गुल, मुख बारह अङ्गुल, गला तीन अङ्गुल, छाती नव अङ्गुल, उदर बारह अङ्गुल, नाभि और लिंग के मध्य का भाग नव अङ्गुल, लिंग से घुटना तक ऊरु इक्कीस अङ्गुल, घुटना तीन अङ्गुल, जंघा (घुटना से पैर की गाँठ तक) इक्कीस अङ्गुल, और गाँठ से पैर के तल भाग तक तीन अङ्गुल, इस प्रकार छयानवें अङ्गुल का मान ऊँचाई का है।
The proportions for a sculpture of 8 talas - which is the correct scale for idols of most goddesses - should be as follows :- Keshanta 3 angulas, face 12 (21); neck 3, chest 9, and stomach 12 angulas respectively, and (the distance) from the navel to the end of the torso 9 angulas..(22).
From the base of the torso, through the thigh, to the knee the distance should be 21 angulas. The knee should be 3 angulas, the distance between the knee and ankle 21 angulas, and that between the ankle and the tip of the foot 3 angulas. (23). (In this manner a completed 8 tala statue will have a standing height of 96 angulas.) साढ़े आठ ताल के मान से अवयवों का मान
अष्टसार्द्ध प्रवक्ष्यामि गीष्पतेस्ताललक्षणम् । केशान्तं च त्रिमात्रं तु वक्त्रं स्याद् द्वादशाङ्गुलम् ॥२४॥ ग्रीवा च यमुला कार्या हृदयं नवभिस्तथा। त्रयोदश भवेन्मध्यं तालेन नाभिमेढ़के ॥२५॥ द्वाविंशत्या भवेदूरु-र्जानु चैव त्रिमात्रकम् । जंघे ऊरुसमे प्रोक्ते त्यङ्गुल: पाद एव च ॥२६ ॥
बृहस्पति के अवयवों का प्रमाण साढ़े आठ ताल के मान से कहता हूँ। मस्तक तीन अङ्गल, मुख बारह अगल, गला तीन अङ्गल, छाती नव अङ्गल, उदर तेरह, नाभि और लिंग के मध्य का भाग बारह अङ्गुल, ऊरु बाईस अङ्गुल, घुटना तीन अङ्गुल, जंघा बाईस अङ्गुल और चरण तीन अङ्गुल, इस प्रकार एक सौ अङ्गुल