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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
"अष्टादशाङ्गुलौ ग्रन्थी ग्रहाणां त्र्यङ्गुलौ पद * ॥२०॥
अब साढ़े सात ताल के मान से मंगल, शुक्र, बुध और शनि इन ग्रहों की मूर्तियों का मान कहते हैं— मस्तक तीन अङ्गुल, मुख बारह अङ्गुल, गला तीन अङ्गुल, छाती दस अङ्गुल, पेट दस अङ्गुल, नाभि और लिंग का मध्य भाग दस अङ्गुल, लिंग से घुटना तक ऊरु का मान अठारह अङ्गुल, घुटनों तीन अङ्गुल, घुटना से पैर की गाँठ तक अठारह अङ्गुल और पैर की गाँठ से पैर के तल भाग तक तीन अङ्गुल, इस प्रकार नब्बे अङ्गुल का मान ऊँचाई का है ।
I now talk about statues in the 7V2 tala scale. This is the size in which images of Mangal (Mars), Shukra (Venus), Budh (Mercury), Shani (Saturn) and other planets are made. The keshanta should be 3 angulas ( 18 ), face 12, neck 3, chest 10, stomach 10 and distance from the navel to medra (linga) or end of the torso 10 angulas respectively. ( 19 ).
From the medram through the thigh to the knee, the distance should be 18 angulas. The knee should be 3 angulas, the distance from the knee to the ankle-bone 18 angulas, and from the ankle to the sole of the foot 3 angulas. (In this way, the completed statue in the 712 tala scale will have a standing height of 90 angulas). (20).
आठ ताल के मान से अवयवों का मान
अष्टतालं प्रवक्ष्यामि देव्याश्चण्ड्याश्च लक्षणम् ।
मात्रा त्रयं स्यात् केशान्तं वक्त्रं च द्वादशाङ्गुलम् ॥२१ ॥ ग्रीवा च त्र्यङ्गुला कार्या हृदयं नवभिस्तथा । मध्यं द्वादशमात्रं स्याद् नाभिद्रे नवाङ्गले ॥ २२ ॥
एकविंशद् भवेदूरु-र्जानु चैव गुणाङ्गुलम् । जंघाङ्गलैकविंशत्या पादमूलं गुणाङ्गुलम् ॥२३॥
मु. 'अष्टादशांगुली ग्रन्थी ग्रहाणामंगुली पदौ ।'