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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
वेदव्यासे मन्त्रिणि विनायके वैकृतं चमूनाथे ।
धातरि सविश्वकर्मणि लोकाभावाय निर्दिष्टम् ॥५६ ॥
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वेदव्यास की मूर्ति में उत्पन्न हुआ उत्पात राजमंत्री को गणेश की मूर्ति में उत्पन्न सेनापति को, ब्रह्मा और विश्वकर्मा की मूर्ति में उत्पन्न हुआ उत्पात लोगों को अनिष्टकारक है ।
Unlucky for the country's ministers are ill-omens conveyed through phenomena on statucs of Veda-Vyas, while those connected with idols of Ganesh are unlucky for the commander-in-chief of the army. Portents connected with statues of Dhatri (Brahma) and Vishvakarma herald calamity for the people. (56).
देवकुमार-कुमारी-वनिताप्रैष्येषु वैकृतं यत् स्यात् । तन्नरपतेः कुमारकुमारिकास्त्रीपरिजनानाम् ॥५७ ॥
देव कुमार, कुमारी, देवी और सेवक आदि परिवार की मूर्ति में उत्पन्न हुए उत्पात से राजकुमार, कुमारी, स्त्री और सेवक आदि परिवार का विनाश कारक
है।
Portents manifested by the attendant sons, daughters, goddesses and other retinue of the main idol are also unlucky, signalling the destruction of the country's prince ( s), princess (es), _queen(s), and servitors, respectively. (57).
रक्षः पिशाचगुह्यकनागानामेवमेव निर्दिष्टम् ।
राक्षस, पिशाच, यक्ष और नाग देवों की मूर्ति से उत्पन्न हुए उत्पात राजकुमार आदि के लिए विनाशकारक है ।
Ill-omens connected with statues of Rakshasas ( demons), Pishachas (malevolent spirits), Guhyakas (a class of demi-gods, who are, like the Yakshas, attendants of Kubera and guardians of his treasure), and Naga snakes etc. foretell calamity for royal princes and others. ( 58a ) .