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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
25 warning and know that some great fear is imminent. (49).
रोदने नर्तने हास्ये देवतानां प्रसर्पणे।
महद्भयं विजानीयात् षण्मासात् त्रिगुणं परम् ॥५०॥ ___ यदि देव प्रतिमा रुदन करे, नाचे, हास्य करे अथवा अपना अवयव फैलावे, तो बड़ा भय जानना। इसकी शीघ्र ही शान्ति न की जाय तो छः मास के बाद त्रिगुण उत्पात होता है।
It should also be feared if an idol wails and laments, dances, laughs or moves forward. This too foretells extreme terror. If such phenomena is not appeased as soon as possible know that in six months time the consequences will be three times as terrible. (50).
धूमज्वाला रजो भस्म यदा मुञ्चन्ति देवताः । राजा तदा च म्रियते प्रसूते च धनक्षयम् ॥५१॥
यदि धुंआ, ज्वाला, धूली और भस्म आदि को देवता बरसावे तो राजा की मृत्यु होवे और धन का विनाश होवे।२२
___If the deities release: smoke, flames, dust and ash, and so forth, it signifies the death of the king and the destruction of 'wealth. (51).
भूमिर्यदा नभो याति विशेद् वसुन्धरां नमः । दृश्यन्ते चान्तरा देवास्तथा राजवधो भवेत् ॥५२॥
पृथ्वी आकाश में और आकाश पृथ्वी में प्रवेश करते हुए, ऐसे दिखावे को देवता दिखावे तो राजा का वध होवे।
If the gods show the earth moving into the sky and the sky entering the earth (at sunset), it is an omen that the king will be killed: (52).
देवतायात्राशकटाक्षचक्रयुगकेतुभङ्गपतनानि । सम्पर्यासनसादनसङ्गाश्च न देशनृपशुभदाः ॥५३॥
रथ यात्रा महोत्सव में गाड़ी (रथ), धुरा, पहियाँ, युग (बैल जोतने का काण्ड), और रथ की ध्वजा इनमें से किसी का बिना कारण भङ्ग हो जाय या गिर जाय, अथवा इनमें कुछ परिवर्तन हो जाय, शक्तिहीन हो जाय, या गतिहीन