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देवतामूर्ति-प्रकरणम् राजा का शरीर, उसका पुत्र, खजाना, वाहन, नगर, स्त्री, पुरोहित और पूजा · इन आठों के ऊपर देवकृत उत्पात का फल होता है।
The consequences of divinc disturbances can be seen in eight ways. These are :-effects on the ruler, his son, the State Trcasury, the ruler's vehicle, the city, the ruler's wife, the pricst and subjects. (46). शिवलिङ्गादि उत्पात का फल
अनिमित्तचलनभङ्ग-स्वेदाश्रुनिपातजल्पनाद्यानि। लिङ्गार्चायतनानां नाशाय नरेश-देशानाम् ॥४७॥ ...
बिना कारण शिवलिङ्ग, प्रतिमा और देव मन्दिर का चलायमान होना, भङ्ग होना, उन पर पसीना आना, आँसू का गिरना और अव्यक्त शब्द होना, ये उत्पात होने से राजा और देश का विनाश होता है। :
If, for no apparent cause 'Siva-lingas, idols and temples move from thcir locations or break, or appear to sweat, or weep, or give out sounds or babble incoherently, it portends the destruction of the ruler and the country. (47).
स्वदेशध्वंस: स्फोटं भवेत् तथा- - - - - - स्थानाच्चलने भङ्गं देशस्य विनिर्दिशेत्: प्राज्ञः ॥४८ ॥
शिवलिङ्गादि बिना कारण फट जाय या अपने स्थान से चलायमान हो जाय तो देश का विनाश होवे, ऐसा विद्वान् जन कहते हैं।
According to the learned, if Siva-lingas, idols, etc. break or shatter for no reason, or become mobile, it signifies the destruction of the nation. (48).
नर्तनं जल्पनं हास्यमुन्मीलननिमीलने । देवा यत्र प्रकुर्वन्ति तत्र विद्यान्महद्भयम् ॥४९॥
जो देव प्रतिमा बिना कारण नाच करे, शब्द करे, हास्य करे, आँखों को उन्मीलन करे अथवा शरीर संकोचे या फैलावे, तो बड़ा भय आने वाला समझना।
If an idol dances, makes incoherent sounds; laughs, opens and closes its eyes, or expands or contracts itself, consider it a