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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
भौम उत्पात
भौमं चरस्थिरभवं तच्छान्तिभिराहतं शममुपैति । नाभसमुपैति मृदुतां शमीत ने दिव्यं वदन्त्येके ॥४४ ॥
चर पदार्थ स्थिर हो जाय, स्थिर पदार्थ चर हो जाय, उसको भूमि उत्पात कहते हैं। उसकी शान्ति कराने से शान्ति हो जाती है। अन्तरिक्ष उत्पात की शान्ति से उत्पात के फल में मंदता होती है। और दिव्य उत्पात की शान्ति कराने से शान्ति हो या न भी हो, ऐसा कोई आचार्य कहते हैं।२१
Bhoum (or Bhumi) or earth portents are those in which moving objects become stationary and vice-versa. Such disturbances can be fully appeased and propitiated by certain mcans, if attempted. The effect of antariksh or sky portents, however, can only be somewhat softened through attempts at pacification. As regards the divya or divine category of omens, the sages have said that these may or may not get calmed or pacisied through prescribed means. (44). . . .
दिव्यमपि शममुपैति प्रभूतकनकानगोमहीदानैः । रुद्रायतने भूमेोर्दानात् कोटिहोमाच्च ॥४५ ॥
बहुत सुवर्ण, अन्न, गाय और जमीन का दान करने से, शिवालय में जमीन और गाय का दान करने से और कोटि होम करने से दिव्य उत्पात की भी शान्ति हो जाती है। • Divya or supernatural (divine) distubances can also be appeasod by giving away a lot of gold, grain, cattle and land in charity; and donating land and cattle to Rudra (Siva) temples; and performing special homa (yagnas) rites and sacrifices. (45). देव उत्पात का कहाँ प्रभाव होता है ?
आत्मसुतकोशवाहनपुरदारपुरोहितेषु लोके च। पाकमुपयाति दैवं परिकल्पितमष्टधा नृपतेः ॥४६ ॥