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... देवतामूर्ति-प्रकरणम् . पीठिका खण्डित हो तो स्थान का, वाहन खण्डित हो तो पूजक के वाहन का और परिवार खण्डित हो तो सेवक जन का निश्चय से नाश होता है।१७
Damage to the pedestal or base of a statue portends danger to the place; damage to the idol's vehicle or seat (the vahana on yana) means danger to thc worshipper's own conveyance; and damage to the sculpted retinue of family and attendants around an idol (the parivar) means the destruction of servants and helpers. . . (36). घर में नहीं पूजने योग्य मूर्ति
प्रतिमा काष्ठ लेपाश्म-दन्तचित्रायसां गृहे।" मानाधिका परीवार-रहिता नैव पूज्यते ॥३७॥ .
लकड़ी, लेप, पाषाण, दाँत, चित्र और लौह आदि धातु, इन वस्तुओं की प्रतिमा शास्त्र में लिखे मान से अधिक हो और अपने परिवार से रहित हो तो घर में नहीं पूजना चाहिये ।१८
If statues made of wood, stucco, stone, ivory, paint and metal are larger than the sizes stipulated for worshipping within homes, and if they are devoid of their attendants, they should not be worshipped in the house. (37). अधोमुखादि दोष
अनेत्री नेत्रनाशाय स्वल्पा स्याद् भोगवर्जिता। अर्थहत्प्रतिमोत्ताना चिन्ताहेतुरधोमुखी ॥३८॥ .
नेत्रहीन प्रतिमा नेत्र का नाश करती है, छोटे मुख वाली हो तो भोगनीय वस्तु की हानि करती है। ऊँचे मुख वाली हो तो द्रव्य की हानि करती है और अधोमुखी हो तो चिन्ताकारक है।१९
An idol with no eyes will cause blindness, while one with a small face will destroy enjoyment of material objects. A statuc
मुद्रित संस्करण में "दण्डचित्तादि संग्रहे" पाठ है