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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
प्रासाद गर्भगृह और द्वार का मान
चतुरस्त्रीकृते क्षेत्रे दशधा भू विभाजिते । चतुर्भागे भवेद् भित्तिः शेषं गर्भगृहं स्मृतम् ॥ २३ ॥
प्रासाद की समचोरस भूमि का दश भाग करना, उनमें से दो-दो भाग की प्रत्येक दीवार अर्थात् दोनों तरफ की दोनों दीवार कुल चार भाग की करना और बाकी मध्य के छः भाग का गर्भगृह (गंभारा) करना । १२
As regards the proportions of the garbhagriha or sanctum sanctorum (or cella) and the walls of a shrine, here is the proportion: the square area of the temple should be divided into 10 parts. Of this, 4 parts of the area should be utilized for the walls and the remaining 6 parts for the sanctum sanctorum or innermost chamber of the temple where the main idol is to be placed. (23).
गर्भगृह के मान से प्रतिमा का मान
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गर्भगेहत्रिभागेण ज्येष्ठार्चा कथिता बुधैः ।
: मध्यमा च दशांशोना पञ्चांशोना कनीयसी ॥ २४ ॥
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मुख्य गंभारे का जो मान हो, उसका तीन भाग करके, उनमें से एक भाग मान की प्रतिमा बनाना यह ज्येष्ठमान की प्रतिमा है। इसमें से प्रतिमा का दशवाँ भाग घटा देने से मध्यम मान की और पांचवां भाग घटा देने से कनिष्ठ मान की प्रतिमा होती है
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A statue that is 1/3rd the size of the sanctum sanctorum is classified as ‘Jyeshtha' or large scale idol. One which is 1/10th lesser (than the above proportion ) is a 'Madhyam' or medium scale idol, and one that is a further 1 / 5th lesser in size is a ‘Kaneeyasi' (Kanishtha) or small scale statuc. (24).
• शयनस्थ प्रतिमा का मान
सप्तांशे गर्भगेहे तु द्वौ भागौ परिवर्जयेत् ।
पञ्चभागो भवेद्देवः शयनस्थः सुखावहः ॥२५ ॥