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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
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नरसिंह
नारसिंहांकितं चक्रं दुर्लभं भुवि मानवैः। शत्रूणां नाशनं तद्धि क्लेशनं परिकीर्तितम् ॥ स्तम्भनं परसैन्यस्य महामृत्युहरं शुभम् ॥५५॥
नरसिंह के चिह्न युक्त चक्र वाली शिला भूमि में मनुष्यों को प्राप्त होनी दुर्लभ है। उसकी पूजा करने से वह शत्रु और क्लेश को नाश करती है तथा शत्रु की सेना को स्तंभित करने.वाली और महा मृत्यु का नाश करने वाली शुभ है।
The discovery (from the ground) of a stone bearing the signs of Narsingh along with a circle is indeed unique. Worshipping it will cause the downfall of enemies. It also removes trouble and suffering. This auspicious stone obstructs the advance of enemy armies, causing widescale . death (to the enemy). (55).
वामन-
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. अङ्कितं वामनेन स्याच्चक्रं परमशोभनम् । नानावृद्धिकरं चैतदन्नाद्यं चाक्षयं भवेत् ॥५६ ॥
वामन मूर्ति से युक्त चक्र वाली शिला परम शुभ है। वह अनेक प्रकार की द्रव्य वृद्धि करने वाली और अक्षय अन्न आदि को देने वाली है।
• A stone with the image of Vaman and a circle is very auspicious. Its veneration results in several kinds of material advances and bestows an unlimited and perpetual supply of grain (and food). (56).
जामदाग्न्य
चक्रमध्ये तु दृश्येत परशुं रामरूपकम्।
तज्जामदग्न्यं चक्रं 'स्याद् पूजनादपराङ्मुखः ॥५७ ॥ 1-1. . मु. यजतादेकराङ्मुखे। यजमानोपराङ्मुखः इत्यपि पाठः ।