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देवतामूर्ति-प्रकरणम् ।
तीन चक्र वाली "शिला लक्ष्मीनारायण की जानना, वह अच्छी तरह पूजने से सुख और मोक्ष के फल को देती है।
A stone with three circles may be recognised as Lakshmi-Narayan. Worshipping Lakshmi-Narayan with sincerity will grant the devotee happiness and salvation (mukti)-freedom from the chains of worldly life. (32). मधुसूदन
नाभिपार्वे शंखपद्मं यस्य मुद्रा प्रदृश्यते। मधुसूदन आख्यात: शत्रुहा परिकीर्तित: ॥३३ ॥
जिस शिला में नाभि के बगल में शङ्ख और पद्म की मुद्रा देखने में आवे, वह मधुसूदन नाम की शिला है, उसको पूजने से शत्रुओं का नाश करने वाली होती है।
If a stone has the marks of a conchshell and a lotus near its centre ('navel' or nabhi), it is called Madhusudan. Its worship will lead to the downfall of (the devotee's) enemies. (33). दामोदर- ..
. स्थूलो दामोदरो ज्ञेय: सूक्ष्मरन्ध्रो भवेत् तु सः। चक्रे तु मध्यरेखः स्यात् पूजित: सुखद: सदा ॥३४॥
जो शिला स्थूल और सूक्ष्म छिद्रवाली हो, तथा चक्र के मध्य में रेखा हो वह दामोदर शिला है, वह पूजने से हमेशा सुख देने वाली है।
Damudar is a broad stone with fine perforations and a line in the middle of a circle. Its worship will give ever-lasting happiness. (34). ..
लक्ष्मीनरसिंह
वामपार्वे स्थिते चक्रे कृष्णवर्णे सबिन्दुके। लक्ष्मीनृसिंहो विख्यातो भुक्तिमुक्तिफलप्रदः ॥३५॥