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देवतामूर्ति-प्रकरणम् शिला के द्वार भाग में तीन रेखा हो और उसका पिछला भाग पद्म के चिह्न वाला हो और गोल हो तो उसे अधिक शोभायमान नीले वर्ण का अनिरुद्ध जानना।
A stone which has three lines at its dvaradesha section, and the mark of a lotus on its reverse is Aniruddha, blue in colour, rounded and possessing extra beauty and radiance. (29). उपरोक्त शिला के पूजा का अधिकारी
ब्राह्मणैर्वासुदेवस्तु नृपैः संकर्षणस्तथा। प्रद्युम्न: पूज्यते वैश्यैरनिरुद्धस्तु शूद्रकैः ॥३०॥ . ' चत्वारो ब्राह्मणैः पूज्यास्त्रयो राजन्यजातिभिः। ...
वैश्यवेव सम्पूज्यौ तथैकः शूद्रजातिभि: ॥३१॥.
ब्राह्मणों को वासुदेव, क्षत्रियों को संकर्षण, वैश्यों को प्रद्युम्न और शूद्रों को अनिरुद्ध शिला पूजनीय है। एवं ब्राह्मणों को वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध ये चारों पूजनीय है। क्षत्रियों को संकर्षण, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध पूजनीय है। वैश्यों को प्रद्युम्न और अनिरुद्ध पूजनीय है, किन्तु वासुदेव और संकर्षण पूजनीय नहीं है। शूद्रों को केवल अनिरुद्ध ही पूजनीय है, किन्तु ऊपर के तीनों पूजनीय नहीं हैं।
A Vasudeva Shaligram should be worshipped by Brahmins; a Samkarshna by Kshatriyas; Pradyumna by Vaisyas and Aniruddha by Shudras. (30).
Brahmins may worship all four kinds of Shaligram stones - Vasudeva, Samkarshna, Pradyumna and Aniruddha, and the warriors (Kshatriyas) may worship Samkarshna, Pradyumna and Aniruddha but not Vasudeva. Vaisyas may worship Pradyumna and Aniruddha, but not Vasudeva and Samkarslına, while Shudras may worship only thc Aniruddha category of Shaligram. (31). लक्ष्मीनारायण
लक्ष्मीनारायणो देवस्त्रिभिश्चक्रैर्व्यवस्थितः। पूजनीय: प्रयत्नेन भुक्तिमुक्तिफलप्रदः ॥३२॥ .