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... देवतामूर्ति-प्रकरणम् दामोदरं च नीलाभ-मनिरुद्धं तथैव च। श्याम नारायणं क्षेत्रं (?ज्ञेय) वैष्णवं कृष्णवर्णकम् ॥ बहुवर्णमनन्ताख्यं श्रीधरं पीतमुच्यते ॥२४॥
ये शिला कपिल (भूरे) वर्ण वाली हो वह नरसिंह शिला है। अलसी के वर्ण वाली वामन शिला जानना। सफेद रङ्ग की वासुदेव शिला है। लाल वर्ण की संकर्षण शिला है। नील वर्ण की दामोदर और अनिरुद्ध शिला समझना । श्याम वर्ण की नारायण शिला और काले वर्ण की वैष्णव शिला जानना। अनेक वर्ण वाली अनंत शिला है और पीले वर्ण की श्रीधर नाम की शिला है।
A stone that is brownish in colour is Narsingh, and one that is golden-yellow like flax (atsi) Vaman. A white stone is Vasudeva, while one that is red, like blood, is Samkarshna. (23).
Damodar and Aniruddha are bluc-coloured stones, Narayan is dark or blue-black, and Vaishnav is black. A multi-coloured or variegated stone is Anant, and a yellow one is Shreedhar. (24).
चक्र का प्रमाण
वृत्तसूत्रेऽष्टमो भाग उत्तमं चक्रलक्षणम् । मध्यमं च चतुर्भाग: कनीयस्तु त्रिभागिकम् ॥२५॥
शिला की गोलाई से आठवें भाग का चक्र हो तो. उत्तम, चौथे भाग का मध्यम और तीसरे भाग का कनिष्ठ चक्र समझना।
Circular markings (chakra) on the rounded parts of a stone should be regarded in the following manner :
If the mark covers an eighth part of the stone it is Uttam or great, if it covers a fourth part it is Madhyam or 'medium, and if it is over a third part it is Kanishta or small. (25).
चक्र के लक्षण से संज्ञा भेद
वासुदेवद्वारदेशे समे चक्रे दृश्यते नान्तरीयके। .