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२. अग्नि
देवतामूर्ति-प्रकरणम्
वरदं शक्तिहस्तं च मृणालं च कमण्डलुम् । ज्वालापुञ्जनिभं देवं मेषारूढं हुताशनम् ॥ ६० ॥
वरदान, शक्ति, कमल दण्ड और कमण्डलु को धारण करने वाला, ज्वाला के समूह जैसी कान्ति वाला, मेंडे की सवारी करने वाला अग्नि देव है, वह अग्नि कोण का अधिपति है ।
(ii) Agni - With one hand in the blessing position, and the other three holding the Shakti weapon / spear, lotus stalk ( 'mrinal' also means the root of a fragrant grass) and a kamandalu respectively, is Agni, the shining god, who glows with the light of fires surrounding him. Agni rides a ram, and is the Lord of the South-Eastern Quarter. ( 60 ) .
३. यम्
लेखनी पुस्तकं हस्ते कुक्कुटं दण्डमेव च । महामहिषमारूढः कृष्णाङ्गश्च यमो भवेत् ॥६१ ॥
कलम, पुस्तक, कुक्कुट जाति का अस्त्र विशेष और दण्ड को हाथ में धारण करने वाला, बड़े भैंसे पर बैठा हुआ और काले वर्ण का यमदेव है । यह दक्षिण दिशा का मालिक है ।
(iii) Yama - Holding a pen, a book, a kukkutam weapon and a danda is the Lord of the Southern Quarter, Yama. The black-complexioned Yama rides a gigantic buffalo. (61).
४. निर्ऋति—
खड्गखेटकहस्तं च कर्तृका वैरिमस्तकम् ।
दंष्ट्राकरालास्यं कुर्यात् श्वानारूढं च नैर्ऋतिम् ॥६२॥
बड़े
तलवार, ढाल, कैंची और शत्रु का मस्तक हाथ में धारण करने वाला, दाँत वाला, भयङ्कर मुख वाला और कुत्ते की सवारी करने वाला नैर्ऋति देव है । यह नैर्ऋत कोण का मालिक है।