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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
(xii) Vishnu
Holding the Sudarshan chakra in his right hand, and a lotus in his left, is the twelfth type of statue of the Sun god. Known as Vishnu, this is an idol of especial splendour and exceeding lustre. ( 33 ) .
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सूर्य के बारह नाम
धाता मित्रोऽर्यमा रुद्रो वरुणः सूर्य एव च ।
भगो विवस्वान् पूषा च सविता त्वष्टृ - विष्णुकौ ॥ ३४ ॥ इति द्वादश सूर्य - मूर्त्तयः ।
धाता, मित्र, अर्यमा, रुद्र, वरुण, सूर्य, भग, विवस्वान, पूषा, संविता, त्वष्टृ और विष्णु ये बारह सूर्य है ।
Dhata, Mitra, Aryama, Rudra, Varuna, Surya, Bhaga, Vivasvan, Pushan, Savita, Tvashttra and Vishnu- these are the twelve statues of the Sun. (34).
देवों का पूजन क्रम
सूर्यो विनायको विष्णुश्चण्डी शम्भुस्तथैव च ।
अनुक्रमेण पूज्यन्ते फलदाः स्युः सदाऽर्चने ॥ ३५ ॥
देवों के पूजन करते समय सूर्य, गणेश, विष्णु, चण्डी देवी और महादेव इन पाँचों देवों की पूजा अनुक्रम से हमेशा करने से वह फलदायक है ।
Worshipping Surya, Vinayak (Ganesh), Vishnu, Chandi and Shambhu (Siva) regularly, in the order cited, will always yield positive results for the worshipper. ( 35 ).
सूर्यायतन
आग्नेये तु कुजः स्थाप्यो गुरुर्याम्ये प्रतिष्ठितः । नैर्ऋत्ये राहुसंस्थानं शुक्रस्थानं च पश्चिमे ॥ ३६ ॥ वायव्ये केतुसंस्थानं सौम्यायां बुध एव च । ईशाने च शनि: स्थाप्यः प्राच्याँ स्थाप्यश्च चन्द्रमाः ॥३७॥