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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
सावित्री
दक्षिणे तु गदा यस्या वामहस्ते सुदर्शनम् !
पद्मव्यग्रा तु सावित्री - मूर्त्तिः सर्वार्थसाधिनी ॥ ३१ ॥
दसवीं सावित्री नाम की सूर्य मूर्ति है, उसके दाहिने हाथ में गदा और बाँयें हाथ में सुदर्शन चक्र है तथा ऊपर के दोनों हाथ कमल से सुशोभित है । वह सब कार्य को सिद्ध करने वाली है ।
१०.
(x) Savitri = Bearing a gada (mace) and the Sudarshan disc in his lower right and left hands respectively, and holding lotuses in both his upper hands, the statue of Savitri grants success in all tasks. (31).
११. त्वाष्ट्री
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स्रुवं च दक्षिणे हस्ते वामे होमजकीलकम् ।
मूर्त्तिस्त्वाष्ट्री भवेद् वत्स ! पद्मरुद्धकरद्वया ॥ ३२ ॥
ग्यारहवीं त्वाष्ट्री नाम की सूर्य मूर्ति है। उसके दाहिने हाथ में होम करने का स्रुवा - (कर्छा विशेष ) है और बाँयें हाथ में यज्ञकील है । ऊपर के दोनों हाथों में कमल है।
(xi) Tvashtri His right hand holds the long-handled spoon for pouring oblations on the sacrificial altar and his left the homajakeelakam - the pillar or pin of the sacrifice. Such ( O Child ) is the statue of Tvashtri. Tvashtri holds lotuses in his two upper hands. (32).
१२. वैष्णवी
=
1.
सुदर्शनकरा सव्ये पद्महस्ता तु वामतः ।
एषा सा द्वादशी मूर्त्तिर्विष्णोरमिततेजसः ॥३३ ॥
बारहवीं विष्णु नाम की सूर्य मूर्ति अपरिमित तेज वाली है। उसके दाहिने हाथ में सुदर्शन चक्र और बाँयें हाथ में कमल है ।
मु. होमज ( लीलकं ? कज्जलम् )