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देवतामूर्ति-प्रकरणम् .
___ उत्तर दिशा के बाँयी ओर भव का नाम का द्वारपाल है वह नीचे के दाहिने हाथ में अक्षमाला, पाश, (फांसी), अङ्कुश और दण्ड धारण किये है। दाहिनी ओर विभव नामका द्वारपाल है, वह नीचे के दाहिने हाथ में दण्ड, अङ्कुश (फांसी) और कमल को धारण किये है।
Bhava is the door-keeper positioned at the left of the northern door. He holds a string of prayer-beads, a noose, a goad and a danda. To the right of the door stands Vibhava holding a danda, a goad, a noose and a lotus. (20). सूर्य की बारह मूर्तियों का स्वरूप
शृणु वत्स ! प्रवक्ष्यामि सूर्यभेदांश्च ते जय ! यावत्प्रकाशक: सूर्यो यावन्मूर्तिभिरीरित: ॥२१॥
विश्वकर्मा अपने सन्तान जय नाम को सम्बोधन करके कहते हैं कि अब मैं सूर्य देव की मूर्तियों का भेद कहूँगा। जब तक सूर्य प्रकाशमान है, तब तक मूर्ति से भी प्रेरणा मिलती रहेगी।
"Listen child.” (says the Creator); “I shall now tell you, O Jaya, about the different kinds of statues of Surya, the Sun. As long as the Sun continues to provide light, idols dedicated to Surya will prove beneficial and be revered.” (21). १. सुधामा मूर्ति
दक्षिणे पौष्करी माला करे वामे कमण्डलुः ।
पद्माभ्यां शोभितौ हस्तौ सुधामा प्रथमा स्मृता ॥२२॥ __. सूर्य की सुधामा नाम की पहली मूर्ति के नीचे के दाहिने हाथ में कमल की माला और बाँयें हाथ में कमण्डलु है और ऊपर के दोनों हाथों में कमल.
हैं।
(i) Sudhama = The first form (of the Sun) to be called to
1. 2.
मु. शोभितकरौ ( रा ? ) मु. सुधामा (ता?)