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देवतामूर्ति-प्रकरणम् attractive deer and long matted hair (jata). The three-eyed Nritya-shastram holds a string of prayer-beads in one hand. and a trident (trishul) in the other. (13). ब्रह्मा के मन्दिर में दूसरे देवों का स्थापन पद
आग्नेयां तु गणं प्रोक्तं मातृस्थानं च दक्षिणे। नैर्ऋत्ये तु सहस्राक्षं वारुण्यां जलशायिनम् ॥१४॥ . वायव्ये पार्वतीरुद्रौ ग्रहाश्चैवोत्तरे स्मृताः। ईशाने च श्रिया देवी प्राच्यां तु धरणीधरः ॥१५॥
ब्रह्मा के मन्दिर में आग्नेय कोण में गणेश, दक्षिण दिशा में मातृदेवता, नैर्ऋत्य कोण में इन्द्र, पश्चिम दिशा में विष्णु, वायव्य कोण में पार्वती और महादेव, उत्तर दिशा में नव ग्रह, ईशानकोण में लक्ष्मी देवी और पूर्व में शेषनाग को स्थापन करें।
The positioning of other deities in, a temple dedicated to Brahma should be as follows :-Gana (Ganesh) should be installed in the south-eastern quarter, Mother-goddess in the southern, Indra in the south-western and Vishnu in the western. (14).
In the north-western quarter should be Parvati and Rudra (Siva), with the Nava-grahas(Nine Planets) in the northern, the goddess Shree (Lakshmi) in the north-eastern and the Dharnidhar who holds up the Earth on his hood (Sheshnag), in the eastern quarters respectively. (15).
ब्रह्मा के आठ द्वारपाल
ब्रह्मणोऽष्टौ प्रतीहाराः कथयिष्याम्यनुक्रमात् । पुरुषाकारगम्भीराः सकूर्चा मुकुटोज्ज्वला: ॥१६॥
ब्रह्मा के आठ प्रतीहार (द्वारपाल) हैं। उनको अनुक्रम से मैं कहूँगा। वे द्वारपाल पुरुष के आकार वाले गम्भीर स्वाभाव वाले, दाढ़ी और मूंछ वाले, मस्तक पर शोभायमान मुकुट धारण करने वाले हैं।