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________________ पाँचवाँ परिच्छेद - हरिवंश और नवाँ जन्म __इस भरत क्षेत्र के वत्स नामक देश में कौशाम्बी नामक एक नगरी थी। उसमें सुमुख नामक राजा राज्य करता था। उसने वीर नामक एक वस्त्र बुननेवाले की स्त्री का अपहरण कर उसे अपनी रानी बना लिया था। वीर के लिए अपनी पत्नी का वियोग असह्य हो गया और वह उसीके दुःख से पागल हो चारों ओर इधर उधर भटकने लगा। एक दिन राजा सुमुख और उनकी उस रानी की दृष्टि उस पर जा पड़ी। इससे वे दोनों संवेग को प्राप्त हुए। इतने ही में अचानक बिजली गिरने से उन दोनों की मृत्यु हो गयी। मृत्यु के बाद वे दोनों हरिवर्ष क्षेत्र में युगलिक के रूप में उत्पन्न हुए। - उधर वीर भी अज्ञानतापूर्वक कष्ट सहन कर सौधर्म देवलोक में किल्विष देव हुआ। पूर्व जन्म के द्वेष से वह उन दोनों का हरणकर चम्पा नगरी में ले गया। वहां पर राजा चन्द्रकीर्ति की मृत्यु हो गयी थी। उसके कोई उत्तराधिकारी .न था, इसलिये उसने उन दोनों को उसका राज्य दे दिया। साथ ही उसने अपनी देवशक्ति से उनकी आयु घटा दी, उनके शरीर पांच सौ धनुष परिमाण बना दिये, उनके नाम हरि और हरिणी रख दिये और उन्हें मद्यमांसादिक भक्षण करना सीखा दिया। इतना करने के बाद वह किल्विष देव अपने वासस्थान को चला गया। कालान्तर में उन्हीं दोनों से हरिवंश की उत्पत्ति हुई। सौवीर देश में यमुना नदी के तटपर मथुरा नामक एक नगरी थी। वहां पर किसी समय हरिवंश कुलोद्भवा वसुराजा के पुत्र राजा बृहद्ध्वज के बहुत दिन बाद उसी कुल में यदु नामक एक राजा हुआ। उसके शूर नामक एक पुत्र
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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