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________________ 416 * बलराम की दीक्षा और नेमिप्रभु का मोक्ष यह क्या कर रहे हो? तुम्हारा रथ विषम स्थान में न टूटकर समतल भूमि में आकर टूट गया फिर, वह पत्थर का बना हुआ है। क्या अब किसी तरह उसका जुड़ना सम्भव है ?" सिद्धार्थ ने उत्तर दिया-“जिसने अनेक युद्धों में विजय प्राप्त की थी, उसकी मृत्यु इस समय बिना युद्ध के ही हो गयी! अब यदि वह जीवित हो सकता है तो मेरा रथ भी जुड़ सकता है।" बलराम उसका यह उत्तर सुनकर निरुत्तर हो गये। वहां से आगे बढ़ने पर.. बलराम ने देखा कि एक मनुष्य पाषाण पर कमल रोप रहा है। यह देख, बलराम ने उससे हँसते हुए कहा-“भाई! तुम्हारे समान मूर्ख मैंने संसार में कहीं नहीं देखा। पाषाण में क्या कभी कमल ऊग सकते हैं?" . ... मनुष्य वेशधारी सिद्धार्थ ने उत्तर दिया- “यदि आपका यह लघुभ्राता जीवित हो सकता है, तो पाषाण में कमल क्यों नहीं उग सकते?" बलराम इस उत्तर पर विचार करते हुए चुपचाप वहां से आगे बढ़ गये। कुछ दूर जाने पर उन्होंने देखा कि एक मनुष्य जले हुए वृक्ष को सींच रहा है। यह देख, बलराम ने कहा-“हे बन्धो! यह व्यर्थ परिश्रम क्यों कर रहे हो? क्या जला हुआ वृक्ष, हजार बार सिंचने पर भी कभी विकसित हो सकता है?" ___मनुष्य वेशधारी सिद्धार्थ ने उत्तर दिया-“यदि तुम्हारे कन्धों का शब जीवित हो सकता है, तो यह वृक्ष क्यों नहीं पल्लवित हो सकता?" बलराम पुन: निरुत्तर हो गये। कुछ आगे बढ़ने पर बलराम ने पुन: देखा कि एक मनुष्य कोल्हू में बालू भरकर उसे पिल रहा है। यह देख, बलराम ने पूछा- “क्यों भाई! इसमें से क्या तेल निकल सकता है ?” इस पर उसने उत्तर दिया कि-"यदि आपके मृत बन्धु का जीवित होना संभव है, तो इसमें से भी तेल निकलना असम्भव नहीं कहा जा सकता।" बलराम इस स्थान से भी चुपचाप आगे बढ़ गये। ' ____ फिर कुछ दूर जाने पर उन्होंने देखा कि एक गोपाल एक मरी हुई गाय के . मुख में हरी घास लूंस रहा है। यह देख, बलराम ने कहा- “हे मूर्ख! क्या
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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