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324 * जरासन्ध और शिशुपाल वध ____ इसके बाद दुर्योधन कासि प्रभूति राजाओं को साथ लेकर अर्जुन से युद्ध करने लगा। किन्तु बलराम के पुत्रों से घिरे हुए अर्जुन ने भयंकर बाण वर्षा कर शत्रुसेना के छक्के छुड़ा दिये। जयद्रथ इस युद्ध में दुर्योधन का दाहिना हाथ हो. रहा था, इसलिये अर्जुन ने मौका मिलते ही उसको भी समाप्त कर दिया। इससे जरासन्ध की सेना में घोर हाहाकार मच गया, क्योंकि उसकी गणना बड़े बड़े वीरों में की जाती थी।
जयद्रथ के वध से क्रुद्ध हो वीर कर्ण, अर्जुन को मारने के लिए दौड़ . आया। कर्ण, अर्जुन के मुकाबले का वीर माना जाता था और वह वास्तव में ऐसा ही था। उन दोनों में बहुत देर तक ऐसा बाणयुद्ध होता रहा कि आकाश में देवता भी उसे देखकर स्तम्भित हो गये। अर्जुन ने अनेक बार कर्ण को रथ और . शस्त्र रहित बनाया, किन्तु इससे विचलित न हो, कर्ण ने नये नये रथ और शस्त्र ग्रहण कर, अर्जुन से लड़ना चालू रक्खा। अन्त में जब उसके समस्त शस्त्र समाप्त हो गये, तब वह तलवार लेकर रथ से कूद पड़ा और आस पास के सैनिकों को मारता हुआ अर्जुन की ओर आगे बढ़ा। अर्जुन ने इस समय बाणों की घोर वर्षा की, जिससे वीर कुञ्जर कर्ण घबड़ा उठा। उसका समूचा शरीर पहले ही से चलनी हो रहा था। इस बार अर्जुन के कई बाण छाती में लगने से वह भूमि पर गिर पड़ा और उसके प्राण निकल गये। ____ कर्ण के गिरते ही भीम और अर्जुन ने जय सूचक शंखनाद किया, जिससे उनकी सेना का उत्साह चौगुना बढ़ गया। जयद्रथ और कर्ण के मारे जाने से दुर्योधन को बड़ा क्रोध आया और उसने हस्तियों की बड़ी सेना लेकर भीमसेन पर आक्रमण कर दिया। उसका यह साहस देखकर भीम को भी बड़ा जोश आ गया और उन्होंने रथ के ऊपर रथ अश्व के ऊपर अश्व और हाथी के ऊपर हाथी को पटककर दुर्योधन की सेना नष्ट भ्रष्ट कर दी। परन्तु इतने ही से भीम की युद्ध कामना पूर्ण न हुई। वे इसी तरह सेना का संहार करते हुए महामानी दुर्योधन के निकट जा पहुंचे।
दुर्योधन की सेना भीमसेन की विकट मार के कारण अस्तव्यस्त हो रहीं थी, इसलिए उसे धैर्य देकर, दुर्योधन भीम की और झपट पड़ा। केसरी के समान क्रुद्ध हो, मेघ की भांति गर्जना करते हुए दोनों वीर एक दूसरे के सामने