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________________ 312 : जरासन्ध और शिशुपाल वध और राजदूतों ने कृष्ण को कह सुनाया । कृष्ण ने भी उसे सुनते ही रणभेरी बजा दी। जिस प्रकार सौधर्म देवलोक में सुघोषा घण्टे की आवाज सुनकर समस्त देव एकत्र हो जाते हैं, उसी प्रकार रणभेरी का नाद सुनकर समस्त यादव और राजा इकट्ठे हो गये। राजा समुद्रविजय इनमें सर्व प्रधान थे। उनके महानेमि, सत्यनेमि, दृढ़नेमि, सुनेमि, तीर्थकर श्री अरिष्टनेमि, जयसेन, महाजय, तेजसेन, नय, मेघ, चित्रक, गौतम, श्वफल्क, शिवनन्द और विष्वकसेन आदि पुत्र भी बड़े रथों पर महारथियों की भांति शोभा दे रहे थे । समुद्रविजय का छोटा भाई . अक्षोभ्य भी अपने उद्भव, धव, क्षुभित महोदधि, अंभोनिधि, जलनिधि, वामदेव और दृढ़व्रत नामक आठ पुत्रों को साथ लेकर आया था । यह सभी अत्यन्त बलवान और युद्ध विद्या में परम निपुण थे। इसी प्रकार सभी दशाई अपने पुत्र और सेना को लेकर इस युद्ध में भाग लेने को उपस्थित हुए, जिनकी नामावली नीचे दी जाती है: तीसरे दशार्ह स्तिमित और उनके पांच पुत्र, यथा— (1) उर्मिमान (2) वसुमान (3) वीर (4) पाताल और (5) स्थिर । चौथे दशार्ह सागर और उनके छः पुत्र यथा – (1) निष्कम्प (2) कम्पन (3) लक्ष्मीवन (4) केसरी (5) श्रीमान और (6) युगान्त । पांचवे दशार्ह हिमवन् और उनके तीन पुत्र यथा --- ( 1 ) विद्युत्प्रभ (2) गन्धमादन और (3) माल्यवान । छठें दशार्ह अचल और उनके सात पुत्रं, यथा – ( 1 ) महेन्द्र (2) मलय (3) सह्य (4) गिरि (5) शैल (6) नग और (7) बल सातवें दशार्ह धरण और उनके पांच पुत्र, यथा – (1) कर्कोटक (2) धनञ्जय (3) विश्वरूप (4) श्वेतमुख (5) वासुकी। आठवें दशार्ह पूरण और उनके चार पुत्र, यथा - (1) दुष्पूर (2) दुर्मुख (3) दुर्दर्श और (4) दुर्धर । नवें दशार्ह अभिचन्द्र और उनके छः पुत्र, यथा— (1) चन्द्र* (2) शशाङ्क ( 3 ) चन्द्राभ (4) शशि (5) सोम और (6) अमृतप्रभ । दसवें दशार्ह साक्षात् देवेन्द्र के समान परम बलवान वसुदेव भी इसी
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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