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________________ 304 * शाम्ब-चरित्र बोलते हैं और कन्या एक ही बाद दी जाती है। यह तीनों एक ही बार होते हैं—इनकी पुनरावृत्ति नहीं होती।" इस पर शाम्ब द्वारा प्रेरित मैंना ने कहा शतेषु जायते शूरः, सहस्त्रेषु च पण्डित: वक्ता दशसहस्त्रेषु, दाता भवति वा न वा॥ अर्थात्- “सैकड़ों आदमियों में एकाध शूरवीर उत्पन्न होता है। हजारों में एकाध पण्डित उत्पन्न होता है। दस हजार में एकाध वक्ता होता है। और. दाता तो होता है, या नहीं भी होता है।" इसके बाद मैंना ने. दूसरी बार कहा न रणे निर्जितः शूरो, विद्यया न च पण्डितः। न वक्ता वाक्पटुत्वेन, न दाता धन-दानतः । अर्थात्:-"युद्ध में विजय प्राप्त करने से कोई शूरवीर नहीं कहा जा सकता। विद्या से पण्डित नहीं कहा जा सकता। वाक्पटुता से वक्ता नहीं कहा जा सकता। और धन दान से दाता नहीं कहा जा सकता।" इसके बाद मैना ने तीसरी बार कहा: ___ इन्द्रियाणां जये शूरो, धर्मे चरति पण्डितः . सत्यवादी भवेद्वक्ता, दाता भूताऽभयप्रदः। अर्थात्- “जो इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करता है, वही शूरवीर होता है। धर्मकार्य में तत्पर रहता है, वही पण्डित कहलाता है। सत्यवादी होता है वही वक्ता कहलाता है, और जो अभयदान देता है, वही दाता कहलाता है।" .. मैना और तोते की इन बातों में आकर एक दिन भीरु जुए में लाख रुपये हार गया। कृष्ण को यह हाल मालूम होने पर उन्होंने इतना धन उसे भण्डार से दिला दिया। दूसरे दिन गन्ध की बाजी लगी। भीरु कृष्ण विलेपना कर राज्यसभा में गया, इस पर शाम्ब ने हींग और लहसुन आदि की दुर्गन्ध से उसे जीत लिया। इससे भीरु दो लाख हार गया। तीसरे दिन दोनों में फिर बाजी लगी कि अलङ्कार धारण में जो हार जाय, वह विजेता को तीन लाख रुपये दे। इस पर भीरु कृष्ण के अलङ्कार धारण कर सभा में गया किन्तु शाम्ब ने श्रीनेमिनाथ के इन्द्रदत्त अलङ्कार धारण कर उसे जीत लिया। इस बाजी में भी भीरु हार गया और उसे तीन लाख देने पड़े।
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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