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________________ 294 पन्द्रहवाँ परिच्छेद शाम्ब-चरित्र प्रद्युम्न के आगमन से द्वारिका नगरी में चारों ओर आनन्द की हिलोरें उठने लगी। भानुक का ब्याह तो था ही, प्रद्युम्न के आने के उपलक्ष में भी कृष्ण ने एक महोत्सव मनाने का आयोजन किया। परन्तु इतने ही में दुर्योधन ने आकर कृष्ण से कहा-“हे स्वामिन् ! मेरी पुत्री जो शीघ्र ही आपकी पुत्रवधू होने वाली थी, जिसका ब्याह भानुककुमार के साथ होने वाला था, उसे कोई हरण कर ले गया है। आप शीघ्र ही उसका पता लगवाइये, वर्ना भानुक का ब्याह ही रुक जायगा।" . कृष्ण ने कहा-“मैं सर्वज्ञ नहीं हूं, जो बतला दूं कि इस समय वह कहाँ है। यदि मैं सर्वज्ञ होता, तो जिस समय प्रद्युम्न को कोई हरण कर ले गया था, उस समय मैं उसे क्यों न खोज निकालता!" ' __कृष्ण की भांति अन्यान्य लोगों ने भी इस विषय में अपनी असमर्थता प्रकट की। अन्त में प्रद्युम्न ने कहा-“मैं अपनी प्रज्ञप्ति विद्या से उसका पता लगाकर उसे अभी लिये आता हूँ। मेरे लिये यह बायें हाथ का खेल है।" प्रद्युम्न के यह वचन सुनकर दुर्योधन तथा कृष्णादिक को अत्यन्त आनन्द हुआ। प्रद्युम्न उसी समय उठ खड़ा हुआ और थोड़ी ही देर में उस कन्या को लाकर उसके सामने हाजिर कर दिया। यह देख कर कृष्ण परम प्रसन्न हुए। उन्होंने प्रद्युम्न से कहा--"तुमने इस कन्या का पता लगाया है, इसलिए यदि तुम कहो तो इससे तुम्हारा ब्याह कर दिया जाय। परन्तु प्रद्युम्न ने कहा कि-"यह मेरे भाई की पत्नी है, इसलिए मैं इससे ब्याह कदापि नहीं
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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