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________________ चौदहवाँ परिच्छेद पाण्डव - जन्म और द्रौपदी स्वयंवर 271 प्राचीनकाल में श्रीऋषभस्वामी के कुरु नामक एक पुत्र था, जिसके नाम पर से भारत के एक प्रदेश का नाम कुरुक्षेत्र पड़ा है । कुरुराज के हस्ती नामक एक पुत्र था, जिसके नाम से हस्तिनापुर नगर विख्यात हुआ । उसी के वंश में आगे चलकर अनन्तवीर्य नामक राजा हुआ, जिससे कृतवीर्य और कृतवीर्य से सुभूम नामक चक्रवर्ती राजा हुआ । सुभूम के बहुत दिन बाद उसी वंश में शान्तनु नामक एक राजा हुए, जिनके गंगा और सत्यवती नामक दो रानियाँ थी। गंगा के गांगेय नामक एक पुत्र हुआ और सत्यवती के चित्रांगद तथा चित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुए। चित्रवीर्य के अम्बिका, अम्बालिका और अम्बा नामक तीन स्त्रियाँ थी। उन तीनों के तीन पुत्र हुए, जो धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर के नाम से विख्यात हुए । धृतराष्ट्र बड़े थे, इसलिए वे गद्दी पर आसीन हुए और पाण्डु शिकार के • 'शौकीन निकले। धृतराष्ट्र ने गान्धार देश के राजा सबल की गान्धारी आदि आठ कन्याओं से विवाह किया । गान्धारी आदि के शकुनी नामक एक भाई भी था, जो प्रायः हस्तिनापुर में ही रहता था और अपने प्रपञ्ची स्वभाव के कारण बहुत विख्यात था धृतराष्ट्र के इन आठ पत्नियों से दुर्योधन प्रभृति पुत्र उत्पन्न हुए, जो आगे चलकर कौरव नाम से प्रसिद्ध हुए । पाण्डु की एक पत्नी का नाम कुन्ती था । उससे युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए। दूसरी पत्नी का नाम माद्री था, जो राजा शल्य की बहिन थी। उससे नकुल और सहदेव नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए यह
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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