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16 * तीसरा और चौथा भव
चिन्तित हो उठे। एक दिन उन्होंने किसी ज्योतिषी से पूछा-“महाराज! क्या आप बतला सकते हैं कि मेरी पुत्री का विवाह किसके साथ होगा?" ...
ज्योतिषी ने कुछ सोच-विचार कर कहा-“हे राजन् ! जो आपका खड्ग छीन लेगा और सिद्धायतन (सिद्ध-मन्दिर) की वन्दना करते समय जिस पर देवतागण पुष्प-वृष्टि करेंगे उसीसे आपकी पुत्री का विवाह होगा। मेरा यह वचन झूठा नहीं पड़ सकता। यही विधाता का विधान है।"
ज्योतिषी के यह वचन सुनकर राजा बहुत ही प्रसन्न हुए। वे अपने मन में कहने लगे-"जो मेरा खड्ग छीनेगा वह अवश्य ही मुझ से अधिक बलवान होगा। मेरी पुत्री बड़ी भाग्यवान मालूम होती है। तभी तो ऐसे बलवान पुरुष से उसके ब्याह का योग पड़ा है। अस्तु।”
इसी भरत-क्षेत्र के चक्रपुर नामक नगर में सुग्रीव नामक एक राजा राज्य करता था। उसके यशस्वती और भद्रा नामक दो रानियाँ थीं। उन दोनों के सुमित्र और पद्म नामक दो पुत्र थे। इनमें से सुमित्र गुणवान और पद्म गुणहीन था। एक दिन भद्रा को कुबुद्धि सूझी। उसने अपने मन में सोचा कि जब तक सुमित्र जीता रहेगा, तब तक मेरे पुत्र को राज्य न मिल सकेगा। यह सोचकर उसने सुमित्र को विष दे दिया। बेचारा सुमित्र विष के प्रभाव से मूर्छित होकर गिर पड़ा। यह समाचार पाते ही सुग्रीव राजा अपने मन्त्रियों के साथ वहाँ दौड़े आये। विष को शान्त करने के लिए मन्त्र-तन्त्रादिक अनेक उपाय किये गये, किन्तु कोई फल न हुआ। चारों ओर यह बात फैल गयी कि भद्रा ने सुमित्र को विष दिया है। भद्रा इससे डरकर कहीं भाग गयी। ___ परन्तु सुमित्र के जीने की कोई आशा न थी। ऐसा मालूम होता था, मानो उसका अन्तिम समय निकट आ पहुँचा है। राजा का जी बहुत दुःखी हो गया था। उन्होंने अपने पुत्र के जीवन के लिए जिनपूजा और शान्ति आदिककर्म कराये किन्तु इससे भी कोई लाभ न हुआ। अन्त में राजा निराश होकर अपने पुत्र को याद कर करके रोने लगे। मन्त्री आदि भी निराश हो गये। परन्तु सौभाग्यवश इसी समय क्रीड़ा निमित्त विचरण करते हुए चित्रगति वहाँ आ पहुंचे। उन्होंने देखा कि समूचे नगर पर शोक की काली घटा छायी हुई है। जाँच करने पर उन्हें राजकुमार को विष देने का वृत्तान्त ज्ञात हुआ। वे तुरन्त